Updated: 23/06/2021 at 1:52 PM
अंजली माली | महाराष्ट्र मुंबई : महाराष्ट्र के सतारा जिले की महाबलेश्वर स्थित गुफाओं में निपाह वायरस होने की पुष्टि हुई है। भारत में महाबलेश्वर को मिनी कश्मीर भी कहा जाता है। हर वर्ष वहां पर हजारों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं। वर्ष 2020 में पुणे के नेशनल इंस्टिट्यूट आफ वीरोलॉजी ने महाबलेश्वर की गुफा से चमगादड़ों की लार के नमूने लिए थे। ऐसा पहली बार हुआ है कि महाराष्ट्र में इस तरह से इस वायरस चमगादड़ों में पाया गया हैं। इस मामले के बाद सतारा जिले के महाबलेश्वर पंचगनी के पर्यटक स्थलों को फिलहाल बंद कर दिया गया हैं। विश्व में इस वायरस का सबसे पहला मामला मलेशिया के कम्पंग सुंगाई गांव में सामने आया था। इस वजह से इस गांव के नाम के आगे ही निपाह जुड़ गया था।
ये वायरस मुख्यत चमगादड़ से फैलता है। चमगादड़ जो फल खाते हैं उनकी लार फलों पर ही रह जाती है। ऐसे में जब कोई भी अन्य जानवर या व्यक्ति इन फलों को खाता है तो वो इससे संक्रमित हो जाता है। आपको बता दें कि यह कोई नया वायरस नही है इससे पहले भी इसके संक्रमण को रोका जा चुका हैं। साल 2018 में केरल में निपाह वायरस की वजह से 17 लोगों की मौत हो गई थी। इस वायरस से संक्रमित करीब 75 फीसद मरीजों की मौत हो जाती हैं इसलिए इसे डेडली वायरस भी कहा जाता हैं।
निपाह वायरस का इंक्यूबेशन पीरियड या संक्रामक समय अन्य वायरस के मुकाबले कहीं अधिक लंबा होता है। ये करीब 45 दिन का होता है। इसका एक अर्थ ये भी है कि किसी भी व्यक्ति या जानवर में इतने दिनों तक इसका संक्रमण आगे फैलाने की क्षमता होती है। जानकारों की राय में इसके लक्षण इन्सेफेलाइटिस जैसे भी होते हैं। इसमें बुखार आना, उल्टी और बेहोशी छाना, सांस लेने में तकलीफ दिमाग में सूजन आ जाती है और रोगी की मौत हो जाती है। 2020 में सामने आई एक रिपोर्ट बताती है कि जमीन का इस्तेमाल लगातार बदल रहा है। जंगलों के खत्म होने से चमगादड़ इंसानों के बेहद करीब आ गए हैं। इस वजह से इसका खतरा भी बढ़ गया है।
मौजूदा समय में भी इसकी कोई दवा उपलब्ध नहीं है, लेकिन जानकारों की राय में बचाव ही इसका एक उपाय है।
First Published on: 23/06/2021 at 1:52 PM
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