बरहज, देवरिया। बरहज तहसील क्षेत्र के अंतर्गत बुधवार को 3 जनवरी टेकूआ चौराहा पर माता सावित्री बाई फुले की जयंती शिक्षक दिवस के रूप में उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धा के साथ मनाई गई। देश की प्रथम शिक्षक महिला को याद किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जाने माने सामाजिक कार्यकर्ता रामकिशोर चौहान ने कहा कि सावित्री बाई फुले ने 14 जनवरी 1848 पूना के तात्या साहब भिड़े नामक ब्राह्मण के मकान में एक कन्या पाठ शाला खोली। भिड़े ने सावित्री बाई की लगन देखकर प्रोत्साहित किया और मकान के साथ उन्होंने 101रूपये चंदा भी संयोग किए थे। इस स्कूल के प्रारंभ में 6 लड़कियां, इनकी पहली अध्यापिका सावित्री बाई बनी। इस प्रकार फूले दंपति ने 18 स्कूल खोले। श्री चौहान ने आगे बताया कि सावित्री बाई फुले ने महिला सेवा मंडल, और सत्य शोधक समाज, की स्थापना कर जिसने छुआ छूत मिटाकर, आपसी प्रेम और सहयोग की भावना जगाई। शिवचंद चौहान एवं राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि सावित्री बाई फुले के साहस और उत्साह को सराहने के बजाय निंदा करने वाले लोग अधिक थे। क्योंकि बहुत कम लोग ही उनके महत्व को समझते थे। जब उन्होंने स्कूल खोली तब सावित्री बाई की आयु मात्र 17 वर्ष थी, उन दिनों स्त्रीयों के घुघट से बाहर आने की कल्पना भी नहीं की जाती थी, विद्यालय की मास्टर रनी तो दूर की बात थी। कार्यकर्म में नंदलाल प्रजापति, शिवचंद चौहान, दयालु चौहान, भीम कुमार भारती, डा मुकेश, शत्रुघ्न, विनोद यादव, महेश, विपिन, रामवृक्ष राजू अंसारी, जोखू, वीरेंद्र गुप्ता, प्रतिभा चौहान, तेज प्रताप मिश्रा, ओमप्रकाश मिश्रा, राजेंद्र, सहित आदि लोग उपस्थित रहे।