ED Arrest Arvind Kejrival: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गुरूवार 21 मार्च को गिरफ़्तारी हुई. केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. आम आदमी पार्टी के वकील इस कोशिश में लगे हैं कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज ही सुनवाई हो क्योंकि 23 मार्च से 31 मार्च तक होली की छुट्टी की वजह से सुप्रीम कोर्ट बंद रहेगा. ऐसे में अरविंद केजरीवाल को राहत मिलने की कम उम्मीद रह जाएगी. फिलहाल अरविंद केजरीवाल अभी ED के लॉकअप में ही बंद हैं. कल रात 9 बजे ED की टीम ने उन्हें CM आवास से गिरफ्तार किया. 22 मार्च को राउज़ एवेन्यू स्थित ED की कोर्ट में केजरीवाल को पेश किया जाएगा. उधर, आम आदमी पार्टी इस लड़ाई को सड़क पर लड़ने के मूड में है. जगह-जगह आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं जिसकी वजह से सुरक्षा बढ़ा दी गई है. ITO मेट्रो स्टेशन को भी बंद करवा दिया गया है.
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क्या है शराब घोटाला?
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू की थी. इसके तहत, सरकार शराब कारोबार से बाहर आ गई और पूरी शराब दुकानें प्राइवेट हाथों में दे दी गईं. दिल्ली की आम सरकार ने अपनी नई शराब नीति को ये कह कर जरुरी बताया था कि इससे माफिया राज खत्म होगा. साथ ही सरकार की रेवेन्यू में बढ़ोतरी का तर्क दिया गया था. लेकिन शुरू से ही दिल्ली सरकार की नई शराब नीति विवादों में रही और जिसे दिल्ली सरकार ने 28 जुलाई 2022 को रद्द कर दिया. लेकिन 8 जुलाई 2022 को शराब घोटाले का खुलासा दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट से हुआ था जिसमें उन्होंने मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर भी गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद दिल्ली के LG वीके सक्सेना ने मामले की CBI जांच की सिफारिश की.
सीबीआई को 17 अगस्त 2022 को केस हैंडओवर किया गया. वहीं ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी जिसमें ताबड़तोड़ एक्शन जारी है और के कविता के बाद अब केजरीवाल की गिरफ्तारी हुई है.
तीन आरोपी बने सरकारी गवाह
ED ने धन हस्तांतरित करने के लिए हवाला ऑपरेटरों के इस्तेमाल के खुलासे के बाद गुरुवार रात केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया. सीएम केजरीवाल से पहले, भारत राष्ट्र समिति (BRS) और वाईएसआर कांग्रेस के भी कई नेता गिरफ्तार हो चुके हैं. इनके अलावा, शराब कंपनियों के कई अधिकारी, सरकारी अधिकारी और अन्य लोग जांच एजेंसियों के निशाने पर रहे हैं. इनमें से कुछ ऐसे आरोपी भी रहे हैं जिनके सरकारी गवाह बन जाने से ही जांच एजेंसियों को बल मिला है. ऐसा कहा जा रहा है कि इन आरोपियों के सरकारी गवाह बनने से ही CBI और ED के अधिकारी हाई प्रोफाइल लोगों को गिरफ्तार कर पाए हैं.