अंकिता पाठक – THE FACE OF INDIA
किसान पिपरमिंट (Peppermint) या मेंथा (Mentha) की खेती से कम निवेश कर ज्यादा फायदा कमा सकते हैं। ये एक कैश क्रॉप है। कैश क्रॉप का मतलब होता है बाजार की मांग को ध्यान में रखकर लाभ कमाने के मकसद से उगाई जाने वाली फसल।
• Mentha Cultivation: भारत के किसान अब पहले से अधिक जागरूक हो रहे हैं। बस यहीं वजह है कि पारंपरिक फसलों से इतर मुनाफे वाली फसलों की तरफ रूख कर रहे हैं। ऐसे कई पौधे भी होते हैं, जिनकी खेती से आप कुछ महीनों में अमीर भी बन सकते हैं। इन पौधों की खास बात यह है कि इन पौधों का दवा बनाने के साथ अन्य कई जरूरी कार्यों में उपयोग किया जाता है।
• खेती के लिए जलवायु तथा मिट्टी – इसकी खेती के लिए अनुकूल जलवायु का होना अत्यंत जरूरी है। इसकी खेती जनवरी या फरवरी के अंत में शुरू की जा सकती है। खेती के लिए बलुई दोमट व मटियारी दोमट जमीन उपयुक्त होती है। रोपाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करके भूमि को समतल बनवाएं। इसके बाद फिर इसमें 20 से 25 टन गोबर की सड़ी खाद डालें। खाद डालने के बाद पाटा लगाकर खेत को फिर समतल बना लेना चाहिए। रोपाई के फिर तुरंत बाद खेत में हल्का पानी दें। खेत में जल शुद्धता की भी अच्छी व्यवस्था होना चाहिए।
• कब नहीं करनी चाहिए खेती – सर्दियों के दिनों में जिन क्षेत्रों में पाला अथवा बर्फबारी होती है। वहां मेंथा या पिपरमिंट की खेती नहीं कर सकते है। पाला अथवा बर्फ गिरने से पौधों की ग्रोथ कम हो जाती है और दूसरी तरफ तेल की मात्रा कम निकलती है। वहीं पहाड़ी क्षेत्रो में मेंथा की बुवाई मार्च तथा अप्रैल के मध्य करना चाहिए। इसकी बुवाई के कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर रखना तथा पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर रखना चाहिए।
• बाज़ार में तेल की कीमत क्या हैं?
एक बीघे जमीन में उगाया गया पिपरमिंट की पेराई के बाद 20 से 25 लीटर तेल निकलता है। बाजारों में इनका दाम 1000 से 1600 रुपये प्रति लीटर तक है। जबकि प्रति लीटर पिपरमिंट आयल के उत्पादन पर करीब 500 रुपए क़ीमत आती है। इसलिए ये किसानों के लिए अच्छे मुनाफे का सौदा है।
• पिपरमिंट का इस्तेमाल किसलिए होता हैं?
इसका इस्तेमाल दर्द निवारक तेल तथा दवाई बनाने में होता है। ये औषधीय गुणों से युक्त है। इसके तेल में मेन्थोन, मेंथाल और मिथाइल एसीटेट जैसें पाए जाते हैं। जो सिरदर्द, कमरदर्द, सांस संबंधित बीमारियों की औषधियों में भी इसका उपयोग किया जाता है। इन सब के अलावा सौंदर्य प्रसाधन के साथ ही पान-मसाला खुशबू, पेय पदार्थ आदि में भी इसका प्रयोग होता है। इसलिए इसकी अच्छी मांग भी रहती है। ये दांत और सिर दर्द में काफी लाभकारी है।
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