Dussehra 2022 - दशहरा हर साल क्यों मनाया जाता है? आइए जानते हैं कुछ पौराणिक कथा

सितम्बर 30, 2022 - 10:12
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Dussehra 2022 - दशहरा हर साल क्यों मनाया जाता है? आइए जानते हैं कुछ पौराणिक कथा
kajal gupta - the face of india Dussehra 2022- आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा मनाते हैं । दशहरा के शाम को को रावण कुंभकरण और इंद्रजीत का पुतला दहन होता है। आइए जानते है दशहरा का इतिहास और महत्व ।

हाइलाइट्स -

दशहरा के शाम को पुतला दहन होता है। दशहरा को श्री राम ने लंकापति रावण का वध किया था। दशहरा मनाने का उद्देश्य लोगों को धर्म सत्य और अच्छाई का संदेश देना है। Dusshra2022 :- हर साल आश्विन शुक्ल दशमी तिथि को दशहरा मनाते हैं। दशमी को विजयादशमी भी कहा जाता हैं क्योंकि लंकापति रावण और भगवान राम जी के बीच बहुत बडा़ युध्द हुआ था और 10 वें दिन प्रभु श्री राम को जीत मिली थी। इस साल दशहरा 05 अक्टूबर दिन बुधवार को मनाया जाता है। इस दिन शाम के समय में पुतला दहन किया जाता हैं। तिरूपति के ज्योतिषाचार्य डाॅ. कृष्ण कुमार भार्गव बताते हैं Dussehra के पौराणिक कथा के महत्व के बारे में [caption id="attachment_34319" align="alignnone" width="650"]Dussehra 2022 Dussehra 2022[/caption]

Dussehra 2022 - क्यों मनाते हैं दशहरा-

त्रेता युग में विजयदशमी के दिन प्रभु श्री राम ने लंकापति दसानन रावण का वध किया था । भगवान श्री राम और विद्यवान रावण का लगातार 10 दिनों तक बहुत भीषण युध्द चला । 10 दसवे दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध करके अपनी पत्नी सीता को उसके महल से छुड़वा लिया ।

यह भी देखें - Hanuman Ji Marriage story: विवाह के बाद भी क्यों ब्रह्मचारी बने रहे हनुमान |  प्रभु राम और लक्ष्मण के समक्ष रावण की बहन शूर्पणखा ने विवाह का प्रस्ताव रखा था । लेकिन उन दोनों ने शूर्पणखा को आदर पूर्वक मना कर दिया। लेकिन शूर्पणखा अपने हट पर डटी रही। तभी लक्ष्मण जी ने उसकी नाक को काट दिया। शूर्पणखा ने अपने भाई रावण के पास जाकर अपने इंसाफ के लिए गुहार लगाई थी। तभी रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था और लंका के अशोक वाटिका में माता सीता को रखा गया था। सुग्रीव, जामवंत, हनुमान और वानर सेना की मदद से उन्होंने सीता जी का पता लगाया और फिर प्रभु राम ने लंका पर चढ़ाई कर दी जिसके कारण राक्षस जाति का अंत हो गया । असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा हैं। यह अच्छाई पर बुराई का विजय का उत्साह है। इसी कारण अश्विनी शुक्ल दशमी तिथि को Dussehra मनाते हैं। सत्य को हर राह में कठिनाई होती है परंतु अंत में सत्य की ही जीत होती है। इसलिए कहा जाता है सत्य के मार्ग से कभी भी नहीं हटना चाहिए।

Dussehra का उत्सव कैसे मनाते हैं?

दशहरा के दिन रावण कुंभकरण और इंद्रजीत के बड़े-बड़े पुतले बनाए जाते हैं उनमें पटाखे भरे जाते हैं। यह पुतले बहुत बड़े बड़े होते हैं। जैसे की बुराइयां भी बड़ी बड़ी होती है। पटाखों के जलने की वजह से पुतले भी आग पकड़ कर जल जाते हैं। वैसे अच्छाई बढ़ती है और बड़ी बुराई का भी अंत भी पुतलों की तरह हो जाता है। रावण दहन के बाद Dussehra का उत्सव समाप्त हो जाता है। नवरात्रि में कई जगहों पर 10 दिनों तक रामलीला का मंचन होता है फिर उसका समापन दसवें दिन दशहरा को हो जाता है।

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