72 Hoorain : मुंबई के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने 72 Hoorain के निर्माताओं के खिलाफ पुलिस को एक लिखित शिकायत दर्ज किया है, जिसमें उन पर एक समुदाय कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और देश को विभाजित करने का प्रयास करने का आरोप भी लगाया गया है. मुंबई के गोरेगांव पुलिस स्टेशन में फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के खिलाफ शिकायत दर्ज की है. उनके वकील अली काशिफ खान ने कहा कि कार्यकर्ताओं ने फिल्म कि स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग की हुई हैं. केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को एक अलग शिकायत दर्ज किया गया है. पीटीआई के मुताबिक, अधिकारी ने कहा कि उन्हें शिकायत मिली है, लेकिन अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं किया गया हैं.
संजय पूरन सिंह चौहान की यह फिल्म तब से विवादों में घेरा हुआ है. जब केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) के द्वारा इसके ट्रेलर को सेंसर प्रमाण–पत्र देने से इनकार करने कि खबरे सामने आई थी. इस फैसले ने फिल्म व्यवसाय में रचनात्मक स्वतंत्रता और सेंसरशिप को लेकर चिंताएं बढ़ा दिए गए हैं. इस बारे में बोलते हुए सह-निर्माता ने पहले आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया को बताया की (सेंसर बोर्ड) ने हमें ट्रेलर से कुछ दृश्य और शब्द हटाने के लिए कहा है हालांकि उन्हें उन दृश्यों को फिल्म में रखने से कोई आपत्ति जनक नहीं है. लेकिन फिल्म इस विरोधाभास पर सवाल उठा रहे हैं. यह फिल्म किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है हालांकि फिल्म में आतंकवादी की काली दुनिया का सच बताया जा रहा है.
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ट्रेलर को फिदायीनों द्वारा यात्रा किए गए मार्गों के बारे में बताया जाता है और कैसे किशोर मुसलमानों को आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए उन्हें प्रेरित किया जाता है. पवन मल्होत्रा, आमिर बशीर, रशीद नाज़ अभिनीत और अशोक पाठक मुख्य भूमिका में देखे जा रहे हैं यह फिल्म आस्था के साथ छेड़छाड़ का भंडाफोड़ करने का वादा करती है. ट्रेलर के विवरण में लिखा है की फिल्म ’72 हूरें’ एक ऐसी कहानी है जहां दृढ़ विश्वास अराजकता में अदृश्य हो जाता है. जहां विश्वास क्रूरता के साथ नृत्य करता है और जहां अकल्पनीय एक भयावह वास्तविकता बना दिया जाता है. 72 Hoorain’ फिल्म में बह जाने के लिए तैयार हो जाइए यह एक मनोरंजक कहानी है मानव मानस की गहराइयों में उतरता है और फिदायीन द्वारा अपनाए गए टेढ़े-मेढ़े रास्तों कि पड़ताल करता है. इस रोचक कथा में, एक अथाह शक्ति का भी उन्मुक्तीकरण किया गया है जो एक ऐसे विश्वास से प्रेरित है जो इतना उग्र है कि यह सभी तर्कों को खारिज कर देता है. ये फिदायीन, एक अडिग विश्वास से बंधे हुए हैं जिसे एक कष्टदायक यात्रा पर निकलते हैं जो उन्हें दिव्य लोकों तक ले जाती है. उनका अंतिम लक्ष्य यह है की हुरैन के नाम से मशहूर 72 कुंवारियों से मिलने के लिए हैं. किरण डागर ,गुलाब सिंह तंवर और अनिरुद्ध तंवर द्वारा निर्मित, फिल्म का सह-निर्माण अशोक पंडित द्वारा किया गया है