गुप्त नवरात्रि क्या है क्या है इसका महत्व!

गुप्त नवरात्रि क्या है|गुप्त नवरात्रि क्या है

जुलाई 4, 2021 - 11:39
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गुप्त नवरात्रि क्या है क्या है इसका महत्व!
गुप्त नवरात्रि
पंडित आशीष कुमार तिवारी नवरात्रि शब्द का अर्थ दो शब्दों से मिलकर बना है। पहला ‘नव’ यानी ‘नौ’ और दूसरा ‘रात्रि’ यानी ‘रातें’। ऐसे में नवरात्रि शब्द का अर्थ हुआ नौ-रातें। गुप्त नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक पूजा की जाती है । गुप्त नवरात्रि 2021 तिथि – हिंदू धर्म के ज्योतिष पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आषाढ़ गुप्त नवरात्रि शुरू होते हैं। इस वर्ष गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई 2021 दिन रविवार से प्रारम्भ हो रहे हैं, ऐवम 18 जुलाई दिन रविवार 2021 को समाप्त होंगे। गुप्त नवरात्र का महत्व -- चारों नवरात्र हर साल तीन-तीन महीने की दूरी पर शुक्ल पक्ष में आती हैं। प्रत्यक्ष तौर पर चैत्र मास , गुप्त नवरात्र आषाढ़ मास, प्रत्यक्ष नवरात्र आश्विन मास और गुप्त नवरात्र आषाढ़ मास में मां दुर्गा की उपासना करके इच्छित फल की प्राप्ति की जाती है। प्रत्यक्ष नवरात्र में मां के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है और गुप्त नवरात्र में 10 महाविघा की साधना की जाती है। तंत्र शास्त्र के मुताबिक गुप्त नवरात्रि में की गई पूजा का फल भी अतिशीघ्र ही मिलता है। मान्यता के अनुसार कुछ विशेष उपायों को ध्यान में रखकर अगर देवी मां की पूजा की जाए तो वह प्रसन्न होकर अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। गुप्त नवरात्रि भी प्रकट नवरात्रि की तरह ही सिद्धिदायक होती हैं, बल्कि ये प्रकट से भी ज्यादा प्रबल होती हैं। गुप्त नवरात्रियां सिद्ध शक्तियां प्राप्त करने के लिए तांत्रिकों, शाक्तों के लिए सबसे सिद्ध दिन होते हैं। गुप्त नवरात्रि मान्यता -- गुप्त नवरात्रि के बारे में मान्यता है कि, इस नवरात्रि में पूजा और व्रत करने वाले साधक अपने व्रत और पूजा के बारे में बात गुप्त रखते हैं। इसके पीछे की धारणा यह है कि, ऐसा करने से उसके लाभ और प्रभाव में वृद्धि होती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान मां कालीके, त्रिपुर सुंदरी, तारा देवी, माता चित्रमस्ता, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, माता बगलामुखी, मां धूमावती, मातंगी, कमला देवी की पूजा का विधान बताया गया है। प्रत्यक्ष और गुप्त नवरात्र में अंतर -- चार नवरात्र में से दो को प्रत्यक्ष नवरात्र कहा गया है क्योंकि इनमें गृहस्थ जीवन वाले साधना पूजन करते हैं। लेकिन जो दो गुप्त नवरात्र होते हैं, उनमें आमतौर पर साधक सन्यासी, सिद्धि प्राप्त करने वाले, तांत्रिक देवी की उपासना करते हैं। हालांकि चारों नवरात्र देवी सिद्धि प्रदान करने वाली होती हैं। लेकिन गुप्त नवरात्र के दिनों में देवी की दस महाविधाएं की पूजा की जाती है, जिनका तंत्र शक्तियों और सिद्धियों में विशेष महत्व है। जबकि प्रत्यक्ष नवरात्र में सांसारिक जीवन से जुड़ी हुई चीजों को प्रदान करने वाली देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्र में अगर गृहस्थ जन चाहें तो किसी विशेष इच्छा की पूर्ति या सिद्धि के लिए गुप्त नवरात्र में साधना करके मनोरथ की पूर्ण कर सकते हैं। गुप्त नवरात्र में क्या करें -- गुप्त नवरात्रि के दिनों अखंड दीप प्रज्वलित करके सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा अर्चना करना चहिये. और दुर्गा सप्तशति या दुर्गा चालीसा का पाठ और 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप भी किया जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान मां भगवती को लौंग और बताशे का भोग लगाना चाहिये ,गुप्त नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां दुर्गा की प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है। आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रि के लिए कलश स्थापना मुहूर्त --- 11 जुलाई 2021, दिन रविवार को कलश स्थापना किया जाएगा। कलश स्थापना के लिए सुबह 04 बजकर 31 मिनट से सुबह 06 : 00 बजे तक का समय शुभ है। घटस्थापना की कुल अवधि 2 घंटे 31 मिनट की है। इसके अलावा 07 : 46 सुबह से लेकर 12 :43 तक करें यह समय चल ,लाभ ,अमृत चौघड़िया का है। इसके बाद शुभ चौघड़िया दोपहर में 02 : 22 से लेकर 04 : 01मिनट तक है , इस समय भी आप कलश स्थापना कर सकते हैं। 11 जुलाई के दिन ज्योतिष का संयोग ---- 11 जुलाई को रविपुष्य योग है , इस दिन पुष्य नक्षत्र है। और चंद्रमा कर्क राशी में विराजमान रहेंगे ऐवम 04 : 29 साम तक हर्षण योग रहेगा। यह ज्योतिषीय संयोग अपने आप मे विलक्षण संयोग है ,इस योग में की गयी साधना सिद्धप्रद हो सकती है। गुप्त नवरात्रि में प्रयोग में आने वाली पूजन सामग्री--- मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र, सिंदूर, केसर, कपूर, जौ, नारियल -2 , आसन, जौ बोन के लिये मिट्टी, पान, लौंग, इलायची, कलश मिट्टी या तांबे का, हवन सामग्री, पूजन के लिए थाली, श्वेत वस्त्र, दूध, दही, ऋतुफल, सरसों पीली, गंगाजल ,धूप,वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सुगंधित तेल, बंदनवार आम के पत्तों का, लाल पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, चौरंग , बैठने के लिये आसन, , रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, जौ, बंदनवार, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, मधु, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, जावित्री,ऐवम हवनकुंड । गुप्त नवरात्रि साधना के नौ दिन क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिये---- 1-- गुप्त नवरात्रि साधना के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का बिल्कुल सेवन नहीं करना चाहिए। 2---नवरात्रि के दिनों में कलेश, द्वेष या किसी का अपमान नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से साधना सफल नहीं होती है। 3---नवरात्रि साधना में स्वच्छता का विशेष ख्याल रखना चाहिए। नौ दिनों तक सूर्योदय से साथ ही स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। 4--- नवरात्रि साधना के समय काले रंग के वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए और ना ही चमड़े के बेल्ट या जूते पहनने चाहिए। 5--- मां दर्गा स्वयं एक नारी हैं, इसलिए नारी का सदैव सम्मान करना चाहिए। जो नारी का सम्मान करते हैं, मां दुर्गा उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं। 6---बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए। 7--- साधना के दौरान बिस्तर पर नहीं बल्कि जमीन पर सोना चाहिए। 8--- ब्रह्मचर्य का विशेष रूप से पालन करना चाहिये । पंडित आशीष कुमार तिवारी पंडित आशीष कुमार तिवारी

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