सीकर। जयपुर रोड़ स्थित शेखावाटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के प्राकृतिक चिकित्स नैच्युरोपैथी एवं यौगिक साइंसेज विभाग के विद्यार्थियों हेतु 5वें प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर प्राकृतिक चिकित्सा के अन्तर्गत योग, षट्कर्म, जल चिकित्सा, पृथ्वी चिकित्सा, मसाज चिकित्सा, सूर्य चिकित्सा, उपवास चिकित्सा, एक्युप्रेसर चिकित्सा, पंचकर्म चिकित्सा, आहार चिकित्सा इत्यादी का आयोजन किया गया कार्यक्रम का शुभारम्भ निदेशक डॉ केके व्यास द्वारा किया गया। डॉ व्यास ने बताया कि प्राकृतिक चिकित्सा में प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं से बिमारी का इलाज किया जाता है तथा मरीज को कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। जल, मिट्टी, आहार और योग व प्राणायाम प्राकृतिक चिकित्सा के प्रमुख घटक है जो किसी भी तरह की बिमारी का उपचार करने के सक्षम है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्धती रोग को समूल रूप से नष्ट करने की क्षमता रखती है साथ ही उन्होने सभी अध्यापक एवं विद्यार्थीगण से यह अपेक्षा की है कि सेमिनार, वर्कशॉप एवं रिसर्च पेपर के माध्यम से आयुर्वेद का प्रचार प्रसार करें ताकि आयुर्वेद को जन- जन तक पहुंचाया जा सके।
प्राचीन काल से ही भारत देश इस क्षेत्र में स्वनिर्भर था। विषय परिवर्तन करते हुये डॉ डी एन पाण्डे द्वारा कोरोना काल के दौरान प्राकृतिक एवं योग चिकित्सा के द्वारा उपचार विषय पर अपने विचार रखे एवं डॉ सुरजीत कुमार द्वारा विकसित देशों द्वारा सदियों पूर्व भारत में खोजी गई प्राकृतिक चिकित्सा को मूल चिकित्सा में शामिल करने की बात कही गई। विभाग के डॉ सुरेश सेन, डॉ सुनिल कुमार, डॉ इन्दु, डॉ कोमल, डॉ. अभिलाषा, डॉ कृतिका एवं सुभाष द्वारा विद्यार्थियों से हिजामा, एक्युपंचर, जलनैती, सूत्रनेती, रबरनेती, का अभ्यास करवाया गया।