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शारिरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी रखे ख्याल

शारिरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी रखे ख्याल

“ख्याति लब्ध कवि एवं साहित्यकार की पहल……डां. सारिका ठाकुर…

आज के आधुनिक युग मे महिलाओं, बडे बुजुर्गो के प्रति बढते अत्याचार, स्वार्थप्रवृत्ति, प्रदूषित वातावरण, शोर, नशा, धोखा, गुणवत्ताहीन चीज़ें, अपमानजनक बातें या व्यवहार, दूसरों से अधिक अपेक्षा करना, बढती जिम्मेदारियां, संस्कार की कमी, अकेलापन, समझदार हमदर्द की कमी, निराशा, दुखद यादें, परेशानी, असफलता, मुश्किलों मे घबराना या जल्द हार मान जाना, देर रात तक जागना, पौष्टिक और संतुलित आहार की कमी, परिवार में योग्य मार्गदर्शक की कमी जैसी बातें मनुष्य को मानसिक रूप से बीमार बनाती हैं। वर्तमान समय में, मनुष्य क्षणिक खुशी के चक्कर में भटक रहा है, आदमी चिडचिडा, गुस्सैल हो रहा है, धीरज की अत्यधिक कमी की वजह से आदमी जल्दी से धैर्य खोता है, इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के एक हालिया सर्वेक्षण में पाया गया कि लॉकडाउन के बाद से मानसिक रोगों के मामलों में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें हर पांच में से एक भारतीय इनसे प्रभावित है।

अच्छे स्वास्थ्य हेतु अपने लिए समय निकालें
अच्छा स्वास्थ्य जीवन में सफलता का आधार है, अपने आप को संतुष्ट, समाधानी रखें, सकारात्मकता को बढ़ावा देने वाले दोस्तों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ हमेशा स्वस्थ रिश्ते बनाए रखें। सकारात्मक और आशावादी दृष्टि हमें मानसिक रूप से स्वस्थ बनाती है। अच्छा और खुश महसूस करना, दूसरों से ईर्ष्या या जलन न होना मानसिक आरोग्य का स्वस्थ संकेतक है, वैसे भी जब हम दूसरों पर क्रोधित होते हैं, तो इसका हमारे शरीर, मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। खुद हंसना, आसपास के लोगों को हंसाना और माहौल को खुशनुमा बनाए रखना, दूसरों का सम्मान करना और सबसे विनम्र व्यवहार करना यह सभी हमें स्वस्थ बनाते हैं। इसी तरह, प्राकृतिक वातावरण हमारे स्वास्थ्य का एक प्रमुख आधार है।

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में स्वस्थ और खुश रहने के लिए इन 5 बिंदुओं के नियमों का पालन करें।

१.व्यायाम :-
अच्छे स्वास्थ्य के संदर्भ में व्यायाम दिनचर्या का हिस्सा होना चाहिए। शारीरिक स्वास्थ्य भी हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। व्यायाम, चाहे वह योग, जिम, खेल, टहलना, पालतू जानवरों के साथ खेलें या साइकिल चलाएँ या कोई अन्य व्यायाम हो जिसमें शारीरिक परिश्रम शामिल हो। मेडिटेशन से भी स्वास्थ्यस्तर में सुधार होता है यह हमारे दिमाग को शांत रखता है। हम जितनी कैलोरी लेते है, उतना खर्च करना हैं, यानी शरीर में भोजन का सही पाचन जरूरी है।

२.पौष्टिक आहार :-
हमें अपने शरीर और दिमाग को सुचारु रूप से काम करने के लिए और ऊर्जा के लिए एक अच्छे पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है क्योंकि यह एक ऐसा आहार है जो हमें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाता है। मानव आहार में शामिल पांच मुख्य पोषक तत्व – कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज लवण और विटामिन अलग-अलग रूपों में, विभिन्न स्तरों पर, मानवीय भावनाओं और मनोदशाओं को नियंत्रित करने और बनाए रखने में अपनी भूमिका निभाते हैं। इसके साथ, अवसाद, तनाव, चिंता, अल्जाइमर जैसी बड़ी मानसिक बीमारियों को आहार, उचित पोषण पूरक (न्यूट्रिशन सप्लीमेंट) जैसे तरीकों से इलाज में मदद होती हैं।

३.पूरी नींद :-
हर व्यक्ति के लिए कम से कम आठ घंटे की नींद लेना बहुत ज़रूरी है। ऐसी नींद हमारे शरीर और दिमाग को हर दिन चार्ज करने के लिए बेहद आवश्यक है। विशेषज्ञों का मानना है कि सही समय पर सही मात्रा में नींद नहीं लेने से शरीर में हार्मोन की मात्रा में असंतुलन हो जाता है। यह पाचन विकार, सिरदर्द, अवसाद, चिंता और चिड़चिड़ापन पैदा करते है। नींद नहीं लेने से मानसिक और शारीरिक दोनों तनाव बढ़ते है। शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बदलने लगती है। यह आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को प्रभावित करता है। जो शरीर की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है। अपना सोने का समय तय कर लें और रोज उसी समय सो जायें। इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों का उपयोग कम करें, या तब ही उपयोग करें जब बहुत आवश्यक हो। आज, मोबाइल इंटरनेट और सोशल मीडिया की लत ने लाखों लोगों की नींद में खलल डाला है।

४.दिखावे से दूरी बनाए रखें :-
हमारे समाज में, दिखावा एक फैशन बन गया है खुद को सर्वश्रेष्ठ दिखाने और स्टेटस मेंटमेन के चक्कर में हर दिन न जाने कितनों के जीवन को बर्बाद कर देता है। दुनिया हमारे बारे में क्या कहेगी, बस यही सोच-सोचकर झूठा दिखावा करते हैं, मन मारकर भी गलत काम करते है। बोलबचन, झूठ, कथनी-करनी मे अंतर रखते है। लोग चेहरे पर दिखावेवाला मुखौटा लगाकर घूमते हैं, वे समय के साथ बदलाव को बर्दाश्त नहीं करते, डर के साये में रहते हैं, जल्दी से तनाव में आकर अपना जीवन खराब करते हैं या गलत निर्णय लेकर खुद को खत्म कर लेते हैं। दिखाने के लिए हजारो अपने होते है लेकिन वास्तव मे कोई नही। जीवन में ख़ातिर आपसे जुडते है लेकिन अच्छे लोग तो आपके कार्य, व्यवहार, स्वभाव से प्रभावित होकर आपके अपने बनते है। दुनिया को वैसे ही दिखाओ जैसे आप हो।

डॉ.सारिका ठाकुर “जागृति”
लेखिका, कवियत्री, शिक्षिका, समाजसेविका
ग्वालियर (मध्य प्रदेश)

TFOI Web Team