Updated: 09/11/2022 at 1:31 PM
CBDC : 1 नवंबर से भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी डिजिटल करेंसी ‘डिजिटल रुपया’ को लॉन्च कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2022 का बजट पेश करते हुए फैसला किया कि रिजर्व बैंक (RBI) अगले वित्त वर्ष में Digital rupees लॉन्च करेगा। 2021 में बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) द्वारा किए गए एक सर्वे से पता चला है कि 86 % केंद्रीय बैंक सीबीडीसी को अपनाने की तैयारी में हैं। वहीं, देश इसे लेकर पायलट प्रोजेक्ट शुरू लगभग 15 % करने जा रहे हैं। अभी केंद्रीय बैंक (RBI) ने होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (E-Rupee) जारी किया है। यह अभी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। आरंभ में डिजिटल रुपया सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेन-देन निपटाने के लिए CBDC : Central Bank Digital Currency इस्तेमाल किया जाएगा।
CBDC Key Points
01 फरवरी, 2022 को भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में CBDC डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की। सीबीडीसी जारी करने के लिए 30 मार्च, 2022 को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की। होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए 01 नवंबर, 2022 को डिजिटल रुपया (e₹) लांच।CBDC पायलट प्रोजेक्ट
इस टेस्टिंग के द्वारा सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन से छुटकारा दिया जाएगा।‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए RBI ने डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है। केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के बारे में RBI ने पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि यह डिजिटल मुद्रा लाने का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का पूरक तैयार करना है। इससे प्रयोगकारों को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे।CBDC 9 बैंक डिजिटल करेंसी में शामिल :-
Wholesale Transactions के लिए होने वाले CBDC डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में नौ बैंक शामिल होंगे। 1-state bank of india 2-bank of baroda 3-union bank of India 4-HDFC bank 5-ICIC bank 6-Kotak mahindra bank 7-Yes bank 8-IDFC first bank 9-HSBC bankये बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का प्रयोग करेंगे।इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC )का नाम दिया गया है। भारत की ये पहली डिजिटल करेंसी आपके लिए बहुत कुछ बदलने वाली है।CBDC क्या है?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) किसी केंद्रीय बैंक की द्वारा उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किया गया है। यह फिएट मुद्रा के बराबर है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में वैचारिक, उन्नति या प्रायोगिक चरणों में है।CBDC दो तरह की होगी:-
1-Retail (CBDC-R): Retail CBDC 2-Wholesale (CBDC-W)Retail (CBDC-R):-सभी को इस्तेमाल के लिए available होगी। Wholesale (CBDC-W) :-इसे केवल चुनिंदा financial institution के लिए डिजाइन किया गया है।सीबीडीसी की शुरूआत से RBI को कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है।यह साधारण जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप दी सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच दिया जा सकता है।CBDC के फायदे :-
RBI की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद देश में अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ साधारण लोगों और बिजनेस के लिए लेन-देन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी शामिल होंगे:- बिजनेस में पैसों के लेनदेन का आसान काम हो जाएगा। CBDC से मोबाइल वॉलेट की तरह बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन होगा। चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का समस्या नहीं रहेगा। नकली करेंसी की समस्या से हल मिलेगा। पेपर नोट की प्रिंटिंग का खर्च नहीं होगा। यह भौतिक मुद्रा की भांति ही केंद्रीय बैंक का फर्ज है। यह छपाई की तुलना में अधिक सक्षम है। यह लेन-देन के जोखिम को बहुत ही कम करता है। धन शोधन money laundring को रोकता है।क्रिप्टोकरेंसी और CBDC में अंतर
क्रिप्टोकरेंसी प्राइवेट है। इसे कोई मॉनिटर नहीं करता और इस पर सरकार या सेंट्रल बैंक का बस नहीं होता है। ऐसी करेंसी गैरकानूनी कहलाती है। RBI की डिजिटल करेंसी सभी तरह से रेगुलेटेड है जिसके सरकार की सहमति होगी। डिजिटल रुपी में क्वांटिटी की भी कोई समय नहीं होगा। फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपी में भी होंगे। लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी। क्रिप्टोकरेंसी का भाव घटता-बढ़ता रहता है, परंतु डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा।CBDC से अर्थव्यवस्था को होगा लाभ:-
भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। ट्रांजेक्शन cost घटने के साथ CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की समस्या नहीं होगी। सरकार का बहुत नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे देश में आता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए अच्छे बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की पर्मिशन देगा। भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था डिजिटल रुपया (e ₹) प्रणाली को और मजबूत करेगी, जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।CBDC क्या है अन्य देशों में स्थिति:-
भारत में वित्तीय वर्ष 2022-23 में CBDC डिजिटल रुपये को लॉन्च किए जाने की आशा है। इसे दो वर्ज़न हैं- रिटेल डिजिटल रुपी (Retail Digital Rupee) होलसेल डिजिटल रुपी (Wholesale Digital Rupee) इन दोनों को लॉन्च करने की योजना है। नाइजीरिया (Naira ) नाम की अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च करने के लिए सक्षम है। वेनेजुएला भी अपना CBDC(डिजिटल ) Bolivar लॉन्च करने की योजना की तैयारी बना रही है। साउथ कोरिया डिजिटल युआन का पायलट निरीक्षण कर रहा है।यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) , अमेरिका, रूस, चीन और तुर्की भी सीबीडीसी को लेकर अपनी योजनाओं पर परामर्श कर रहे है।अभी और भविष्य में CBDC के आसपास IMF की क्या भूमिका है?
lMF तीन तरीकों से मदद कर सकता है: नीतिगत बहस को सूचित करके, नीतिगत विकल्पों पर चर्चा करने के लिए संबंधित पक्षों को बुलाकर और देशों को नीतियां विकसित करने में मदद करते है।लेकिन सीबीडीसी एक नया विषय है, IMF ज्यादातर पहले दो क्षेत्रों में सक्रिय रहा है। लेकिन यह धीरे-धीरे तीसरे क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है क्योंकि सदस्य देश सीबीडीसी विकल्पों पर विचार करते हैं और सलाह लेते हैं। सबसे पहले, IMF नीतिगत बहस को सूचित करने में मदद कर सकता है। आईएमएफ वर्तमान में सीमाओं के पार उपलब्ध CBDC के प्रभावों की जांच कर रहा है। अन्य संस्थानों, जैसे कि बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स और पेमेंट्स एंड मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर पर समिति, ने भी इस विषय में योगदान दिया ।यह अपने आंतरिक विशेषज्ञों को आकर्षित कर सकता है। इसके साथ कई CBDC के साथ एक संभावित दुनिया सीमा पार से भुगतान और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठा सकती है, जो आईएमएफ के जनादेश के मूल में हैं।यह भी देखें – Legend Meaning In Hindi
सीबीडीसी के विकल्प क्या हैं?
कई देश डिजिटल मुद्राओं की गति और सुविधा से मेल खाने के लिए मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बेहतर बनाने पर काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, हम प्रकाशित स्रोतों से समझते हैं कि फेडरल रिजर्व तथाकथित तेजी से भुगतान विकसित कर रहा है, जिससे अंतर-बैंक खुदरा भुगतान (फेडरल रिजर्व की “फेडनाउ” पहल) के लगभग तात्कालिक और कम लागत वाले निपटान की अनुमति मिलती है। अन्य देशों में, इसी तरह की प्रणालियों ने भुगतान सेवाओं में सुधार किया है और भुगतान में प्रतिस्पर्धा को इंजेक्ट किया है, खासकर अगर अन्य सुधारों के साथ जोड़ा जाता है, जैसे कि सार्वजनिक डिजिटल पहचान, सामान्य संचार मानक, खुले एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (“एपीआई”, जो बैंकिंग अनुप्रयोगों को इंटरऑपरेट करने की अनुमति देते हैं और तीसरे पक्ष के डेवलपर्स द्वारा विस्तारित), और डेटा पोर्टेबिलिटी और सुरक्षा मानकों। हम आम तौर पर सोचते हैं कि केंद्रीय बैंकों को सीबीडीसी से जुड़े मुद्दों की पूरी श्रृंखला की जांच करने में लगे रहना चाहिए, जिसमें सिंथेटिक सीबीडीसी की पेशकश करने की क्षमता शामिल है, और नई प्रौद्योगिकियों के साथ अपनी परिचितता को गहरा करना चाहिए।First Published on: 09/11/2022 at 1:31 PM
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