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डेंगू से बचाव एवं आवश्यक उपाय

डेंगू से बचाव एवं आवश्यक उपाय के बारे में आज हम इस article के जरिये जानेगें। बारिश के मौसम के बाद यत्र तत्र जल जमाव के कारण काफी मच्छर उत्पन्न हो जाते हैं। मादा एडीज मच्छरों के काटने से डेंगू हो जाता है। इसमें पीड़ित व्यक्ति को काफी तेज बुखार आता है। इसमें शरीर को यह संक्रमण अत्यंत दुर्बल कर देता है। डेंगू के वायरस से शरीर संक्रमित होने के बाद शरीर में काफी दर्द के साथ तेज बुखार आता है। सर दर्द, आंखों में दर्द,मांसपेशियों एवं जोड़ो में दर्द होने के साथ कभी कभी शरीर में दाने भी निकल जाते हैं।

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डेंगू के संक्रमण से 4 से 6 दिन के बाद शरीर में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसका बुखार 10 दिन अथवा उससे अधिक भी रह सकता है। इसमें रोगी के संक्रमण से ग्रसित होने पर उल्टी आना, जी मिचलाना, दस्त आना, भूख न लगना इत्यादि समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। अत्यधिक संक्रमण फैलने पर नाक से, मसूड़े से अथवा अन्य स्थानों से रक्तस्राव भी होता है । कई बार अधिक संक्रमण फैलने पर मैरिज सदमे में चला जाता है। इसे डेंगू शाॅक सिंड्रोम भी कहा जाता है इससे पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।डेंगू के वायरस जब शरीर में प्रवेश करते हैं तो इससे रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती है और उनसे रिसाव होने लगता है। रक्त प्रवाह में थक्का बनाने वाली कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है, जिसे प्लेटलेट्स गिरना कहते हैं। यह आघात भी देता है जिससे मरीज सेंसलेस भी हो जाता है।

डेंगू से बचाव के अन्य आवश्यक उपाय

अपने आसपास जल जमाव न होने दे। पानी रखने के बर्तन में पानी ढंक कर रखें कूलर एवं टंकी इत्यादि समय-समय पर साफ करते रहे। मादा एडिस मच्छर दिन में ज्यादातर काटते हैं ।अतः पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने। यह शरीर में निचले हिस्से में ज्यादातर काटते हैं ,इसलिए पैरों को ढंक कर रखें। रात में हमेशा मच्छरदानी का प्रयोग करें। मच्छरों से खुद को बचाने का प्रयत्न करें। सादा तथा स्वच्छ भोजन ग्रहण करें। खूब पानी पिएं ,भोजन में सलाद एवं अंकुरित अनाज शामिल रखें।

डेंगू से होने वाले उत्पन्न लक्षणों के अनुसार होम्योपैथ दवाओं में युपाटोरियम पर्फ, जेलीसिमियम, बेलाडोना, रस टॉक्स, ब्रायोनिया, आर्सेनिक एल्बम, अल्फा अल्फा, जिंगसिंग ,एकोनाइट,बैप्टिशिया, एपिकाक ,रस वेनेटा ,केरेका पपाया इत्यादि असरकारी है।

डेंगू से क्योर होने के लिए बायोकेमिक दवाईयां निम्नलिखित हैं – फेरम फॉस, काली म्यूर, नेट्रम म्यूर, काली सल्फ, काली फॉस ,मैग्निशियम फॉस, नेट्रम सल्फ , साइलीसिया आदि। किसी भी प्रकार के बुखार में बायो कॉन्बिनेशन 11 के रिपीटेड डोज से बुखार ठीक हो जाता है। कमजोरी के लिए बायो कांबिनेशन 27 तथा 28 देना चाहिए।
नोट – किसी भी प्रकार की दवा को देने से पहले अनुभवी चिकित्सक से सलाह लेना आवश्यक है।

डॉ. रजनी शर्मा
डी. एम. बी. एस.
बी. एम. बी. एस.

TFOI Web Team