अन्ना मणि, जिनको “भारत की मौसम महिला” के रूप में भी जाना जाता है, वे भौतिक विज्ञानी और प्रोफेसर सीवी रमन के अधीन भी काम किया करते थे । अन्ना मणि भारत की पहली महिला वैज्ञानिकों में से एक थी उनका जन्म १९१७ में केरल में हुआ था । २३ ऑगस्ट को भौतिक विज्ञानी और मौसम विज्ञानी अन्ना मणि की १०४ वीं जयंती पर उन्हें समर्पित एक विशेष डूडल के साथ मनाया। आना मणि भारत की पहली महिला वैज्ञानिकों में से एक थीं, और उन्होंने भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के उप महानिदेशक के रूप में काम किया। मौसम विभाग की भविष्यवाणी में उनका बहुत बड़ा योगदान था । और उनके खोज से भारत के लिए सटीक मौसम की भविष्यवाणी करना संभव हुआ । और साथ ही मणि ने सौर विकिरण, ओजोन और पवन ऊर्जा उपकरणों तथा राष्ट्र को अक्षय ऊर्जा जैसे कई पत्र एवं मार्ग भी प्रकाशित किए।
1940 में, उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में खोज के लिए स्कोलरशिपी मिली. उन्होंने हीरे और माणिक में विशेषज्ञता नोबेल पुरस्कार विजेता सर सीवी रमन के तहत स्पेक्ट्रोस्कोपी का अध्ययन किया। तथा वे 1945 में लंदन गई उन्होंने इम्पीरियल कॉलेज में एडमिशन लिया। जहाँ उन्होंने मौसम संबंधी उपकरणों में विशेषज्ञता हासिल की । अन्ना मणि भारत लौटी ,और 1948 में (IMD) में काम करना शुरू किया। उन्होंने भारत की मौसम भविष्यवाणी के लिए स्वदेशी बुनियादी ढांचे के विकास में रुचि ली और 1953 तक, वह डिवीजन की प्रमुख थीं। उत्पादन के लिए 100 से अधिक मौसम उपकरणों को सरल और मानकीकृत किया गया था।
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50 के दशक के दौरान, अन्ना मणि ने स्थायी ऊर्जा माप पर पत्र प्रकाशित किए, जिससे वह भारत में स्थायी ऊर्जा के सबसे शुरुआती अधिवक्ताओं में से एक बनी । बाद में, उन्होंने एक कंपनी की स्थापना की जो सौर और पवन ऊर्जा उपकरणों का निर्माण करती थी। अन्ना मणि ने संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठनों में भी महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। उन्होंने 1987 में विज्ञान में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए इन्सा केआर रामनाथन पदक भी जीता। अन्ना मणि की मृत्यु 16 अगस्त 2001 को तिरुवनंतपुरम में हुईं।
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