जगदलपुर (छत्तीसगढ़),  बहुप्रतीक्षित Bastar Olympics 2025 का आज छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में शानदार शुभारंभ हुआ। यह आयोजन न केवल खेल भावना का प्रतीक है बल्कि आदिवासी परंपरा और संस्कृति के पुनर्जीवन का उत्सव भी है। इस बार 3.8 लाख से अधिक खिलाड़ियों ने Bastar Olympics 2025 में हिस्सा लिया है, जो इसे प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा ग्रामीण खेल आयोजन बनाता है।

Bastar Olympics 2025: परंपरा और खेल का अनोखा संगम

Bastar Olympics 2025 का उद्देश्य बस्तर की मिट्टी में पले-बढ़े पारंपरिक खेलों को राष्ट्रीय स्तर तक पहचान दिलाना है। इसमें गिल्ली-डंडा, रस्साकशी, कबड्डी, बेंत दौड़, तीरंदाजी और पारंपरिक नृत्य प्रतियोगिताएं शामिल हैं।
मुख्य समारोह जगदलपुर के लोहंडिगुड़ा स्टेडियम में हुआ, जहाँ हजारों खिलाड़ी और दर्शक मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि Bastar Olympics 2025 राज्य की संस्कृति, एकता और आत्मगौरव का प्रतीक है।

महिला खिलाड़ियों की बढ़ती भागीदारी

इस वर्ष Bastar Olympics 2025 में महिला खिलाड़ियों की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। ग्रामीण और नक्सल प्रभावित इलाकों की कई महिलाएं अब खेल के माध्यम से अपनी पहचान बना रही हैं। यह आयोजन उनके लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहा है।

स्थानीय खेलों को मिलेगी राष्ट्रीय पहचान

राज्य सरकार ने घोषणा की है कि Bastar Olympics 2025 से प्रेरित होकर पारंपरिक खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इससे ग्रामीण प्रतिभाओं को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने का अवसर मिलेगा।

सांस्कृतिक झलकियों ने जीता दिल

Bastar Olympics 2025 के उद्घाटन समारोह में बस्तर के पारंपरिक नृत्य, मां दंतेश्वरी देवी की आराधना और स्थानीय परिधानों की झलक ने माहौल को उत्सवमय बना दिया। इस अवसर पर उत्कृष्ट खिलाड़ियों को सम्मानित करने की घोषणा भी की गई।  एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की संस्कृति, आत्मगौरव और एकता का प्रतीक है। बस्तर की यह पहल अब पूरे देश में ग्रामीण खेलों को नई दिशा देने जा रही है।

Cyclone Montha: आंध्र और ओडिशा में तबाही का खतरा, 50 हज़ार लोग सुरक्षित स्थानों पर भेजे गए

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *