Chandrayaan 3 Live Status : दिल्ली, आज भारत के लिए गौरव का दिन है आज भारत अन्तरिक्ष में नया कीर्तिमान रचाने को तैयार है. आपको बता दें 15 जुलाई 2023 को इसरो के LVM3-M4 रॉकेट ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लेकर उड़ान भरी थी । चंद्रयान को 1 अगस्त को पृथ्वी के ऑर्बिट से चांद के ऑर्बिट तक प्रक्षेपित होने की संभावना जताई जा रही है। और आज पृथ्वी की आखिरी यानी पांचवी कक्षा में प्रवेश कर सकता है चंद्रयान। भारत के तीसरे चंद्र अन्वेषण मिशन, चंद्रयान -3 ने मंगलवार (1 अगस्त) की शुरुआत में महत्वपूर्ण ट्रांस-लूनर इंजेक्शन (टीएलआई) को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया और अब चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। “चंद्रयान-3 ने पृथ्वी के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी कर ली है और चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है। पीटीआई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के हवाले से कहा, ISTRAC (ISRO टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क) में एक सफल पेरिजी-फायरिंग की गई।
इसमें कहा गया, “अगला पड़ाव: चंद्रमा। जैसे ही यह चंद्रमा पर पहुंचेगा, चंद्र-कक्षा सम्मिलन (एलओआई) की योजना 5 अगस्त, 2023 को बनाई गई है।” इसरो के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि मंगलवार के ट्रांस-लूनर इंजेक्शन (टीएलआई) के बाद, चंद्रयान -3 अंतरिक्ष यान पृथ्वी की कक्षा से बच गया और अब उस पथ का अनुसरण कर रहा है जो इसे चंद्रमा के आसपास ले जाएगा।
दूसरे शब्दों में, अंतरिक्ष यान ने टीएलआई पैंतरेबाज़ी के बाद पृथ्वी की कक्षा छोड़ने के बाद मंगलवार को चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा शुरू की, जिसने इसे ‘चंद्र स्थानांतरण प्रक्षेपवक्र’ पर रखा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, टीएलआई 1 अगस्त को रात 12 बजे से 1 बजे के बीच निर्धारित की गई थी।
आगे क्या होता है? चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह पर कब उतरेगा? आइये समझते हैं.
इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 कई उद्देश्य हैं जो इस प्रकार हैं
- चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग प्रदर्शित करना
- रोवर को चंद्रमा पर भ्रमण का प्रदर्शन करना और
- यथास्थित वैज्ञानिक प्रयोग करना
मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लैंडर में कई उन्नत प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं जैसे,
- अल्टीमीटर: लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर
- वेलोसीमीटर : लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा
- जड़त्वीय मापन : लेजर गायरो आधारित जड़त्वीय संदर्भ और एक्सेलेरोमीटर पैकेज
- प्रणोदन प्रणाली : 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटिट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स
- नौवहन, गाइडेंस एंड कंट्रोल (NGC): पावर्ड डिसेंट ट्रैजेक्टरी डिजाइन और सहयोगी सॉफ्टवेयर तत्व
- खतरे का पता लगाना और बचाव : लैंडर खतरे का पता लगाना और बचाव कैमरा और प्रसंस्करण एल्गोरिथम
- लैंडिंग लेग तंत्र चंरायण की लाइव के लिए इसरो की वेबसाइट और यूट्यूब पर देखा जा सकत है.
Indian Space Research Organisation (isro.gov.in)
Chandrayaan 3 Live Status : चंद्रमा की कक्षा में भेजने की प्लानिंग
भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अपने अहम पड़ाव पर पहुंच गया है। 1 अगस्त की रात 12 बजे से 1 बजे के बीच भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) ने चंद्रयान-3 को पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा में भेजने की प्लानिंग की है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान चंद्रयान के थ्रस्टर्स को शुरू किया जाएगा। इस प्रक्रिया में 28 से 31 मिनट का समय लग सकता है। चंद्रयान-3 के थ्रस्टर्स को तब शुरू किया जाएगा, जब चंद्रयान-3 पेरिगी (Perigee) पर होगा। यह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की सबसे कम दूरी होती है।
अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के बाद मिशन से जुड़ीं महत्वपूर्ण तारीखों की जानकारी दे दी थी। उन्होंने बताया था कि एक अगस्त को चंद्रयान को चांद की कक्षा में स्थापित किया जा सकता है। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा।
जानकारी के अनुसार, चंद्रयान के थ्रस्टर्स को फायर करने से 5 से 6 घंटे पहले चंद्रयान का रूट बदलने की तैयारी शुरू हो जाएगी। सबकुठ ठीक रहा और चंद्रयान-3 चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया, तो मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग 23 अगस्त को शाम 5 बजकर 47 मिनट पर किए जाने की योजना है।
गौरतलब है कि साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर चंद्रमा की सतह पर क्रैश हो गया था। उसके फौरन बाद भारत ने तीसरे मून मिशन की तैयारी शुरू कर दी थी। इसरो के वैज्ञानिक बीते कई महीनों से दिन-रात मिशन को सफल बनाने में जुटे हुए थे। चंद्रयान-3 की लैंडिंग में कोई परेशानी ना आए, इस बात का विशेष ध्यान इस बार रखा गया है। चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम भी विक्रम रखा गया है।
मिशन को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसे हर हाल में चांद पर लैंड कराया जा सके। 23 अगस्त को जब लैंडर ‘विक्रम’ चांद की सतह पर उतरने की कोशिश करेगा और कोई परेशानी आई, तो उसे दूसरी जगह भी लैंड कराया जा सकता है। इस मिशन का मसकद सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंड कराना और वहां चहलकदमी की क्षमताओं को साबित करना है। अभी तक तीन देश- अमेरिका, सोवियत यूनियन और चीन चंद्रमा पर अपने मिशन लैंड करा पाए हैं।
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