गणेशोत्सव-गणपति के जन्म का उत्सव

Updated: 02/09/2024 at 4:06 PM
Ganeshotsav – celebration of the birth of Ganapati

यूं तो गणेशोत्सव पूरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन महाराष्ट्र व आसपास के राज्यों में बहुत ही बड़े स्तर पर इस उत्सव की धूम देखने को मिलती है। दस दिन तक हर तरफ गणपति बप्पा मौर्या का उद्घोष सुनायी देता है। यह हिन्दुओं का पवित्र त्योहार है। जो कि विनायक या गणेश चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से यह उत्सव शुरु होता है और अनंत चतुर्दशी को समापन होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष में भगवान गणेश का जन्म हुआ था। उनके जन्म के उपलक्ष्य में यह त्योहार बहुत ही धूमधाम व हर्षोल्लासपूर्वक मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने-अपने घरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। मूर्ति स्थापना पूरे विधि-विधान से की जाती है। जो भी अनुष्ठान होते हैं उनका पालन किया जाता है। गणेश भगवान का ध्यान कर पूजा की जाती है। घरों के अलावा मंदिरों में भी गणेश भगवान की आराधना, भजन-कीर्तन किया जाता है। लड्डू का भोग लगाया जाता है और दूर्बा अर्पित किया जाता है। मंदिरों को खूब सजाया जाता है। दसवें दिन गणेश भगवान की मूर्ति को नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित कर गणपति की विदाई की जाती है। जैसाकि, किसी भी मांगलिक कार्य व पूजन में सर्वप्रथम भगवान गणेश का ही आह्वान किया जाता है तत्पश्चात अन्य देवी-देवताओं का। गणेश भगवान शिव व माता पार्वती के पुत्र हैं। इन्हें एकदंत, वक्रतुण्ड, धूम्रकेतु, विनायक आदि नामों से भी जाना जाता है। सुख-समृद्धि, ज्ञान व कष्टों को हरने वाले देवता हैं श्रीगणेश।

-ओम प्रकाश उनियाल

 

First Published on: 02/09/2024 at 4:00 PM
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