Navratri : नवरात्र जो मां दुर्गा का परम त्योहार है.नवरात्र को केवल भारत ही नहीं किंतु पुरे विश्व में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. यह महोत्सव कुल 9 दिनों का होता है,कई बार 8 दिनों में ही समाप्त हो जाता है.आपको बता दें कि मान्यता है कि नवरात्रि के इन 9 दिनों में जो भी श्रद्धालु श्रद्धा भाव से माता रानी की पूजा करते हैं, उसे मां की असीम अनुकंपा और आशीर्वाद प्राप्त होती है.साथ ही उसके सभी दुख दूर होकर उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. उसके जीवन में खुशहाली आती है.मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि में माता को श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाई जाती है. मान्यता यह भी है कि माता को श्रृंगार की वस्तुएं दान करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम ही प्रेम घुल जाता है. नौकरी, व्यापार, शिक्षा, विभाग, आदि जीवन की कोई भी और कैसी भी समस्या हो शत-प्रतिशत दूर हो जाती है. इस साल नवरात्रि का पावन पर्व यानी चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 22 मार्च 2023 दिन बुधवार से होगा. इस बार पंचक दौरान माता रानी पृथ्वी पर पधारने वाली है. लेकिन आदि शक्ति जगदंबा की पूजा में पंचक का असर बिल्कुल नहीं होगा. ऐसे में पहले दिन घटस्थापना सुबह 6:29 से लेकर 7:49 मिनट तक होगी. देवी दुर्गा की सवारी नौका है जो बहुत शुभ माना जाता है.वही उनके जाने का वाहन डोली बनेगी. आपको बता दें कि इस साल चैत्र नवरात्रि के पहले दिन दो अति शुभ शुक्ल का संयोग हो रहा है. जिसमें माता की पूजा का दुगना फल प्राप्त होता है. साथ ही इन दिनो इस देवी पूरे 9 दिन तक धरती पर भक्तों के बीच विराज मान रह्ती है. इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं नवरात्रि के 9 दिन का महत्व और माता को प्रसन्न करने के लिए इन दिनों में कैसे पूजा करें और क्या उपाय करें.
इस नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन नौका पर होगा.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां की नौका सवारी सुख समृद्धि का कार्य है. नवरात्र पर 4 ग्रहों का परिवर्तन भी हो रहा है. यह योग 110 वर्षों के बाद भारत में आ रहा है. साथ ही बताया जा रहा है कि मां की विदाई इस साल डोली पर होगी.
जैसे कि आपका नाम से ही अंदाजा लगा सकते हैं.नवरात्रि यानी 9 दिनों की रात. पहले तो नवरात्र दो शब्दों से मिलाकर बना हुआ है. एक शब्द है नौ और रात्रि यानी नवरात्रि. नवरात्रि शब्द सिद्धि का प्रतीक माना जाता है. प्राचीन काल में शक्ति और शिव की उपासना के लिए ऋषि-मुनियों ने दिन की उपेक्षा रात्रि को ज्यादा महत्व दिया था. पुराणों के अनुसार माने तो रात्रि में कई तरह के अवरोध खत्म हो जाते हैं. रात्रि का समय शांत रहता है. ईश्वर से संपर्क और साधना करना बहुत प्रभावशाली होता है. नवरात्रों में देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है और साधक अलग-अलग प्रकार की सिद्धियां प्राप्त करते हैं.
आपको बता दें नवरात्रि का दूसरा पक्ष यह है कि,मनुष्य के जीवन में 3 पहलू होते हैं.शरीर, मन,और आत्मा. भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक यह तीनो के इर्द-गिर्द मनुष्य की समस्याएं घिरी रहती है. इन समस्याओं से छुटकारा दिलाती है वह रात्रि नवरात्रि या रात होती है. रात आपको दुख से दुर कर आपके जीवन में सुख की प्राप्ति कराती है. इंसान कैसे भी परिस्थिति में हो रात को कभी आराम करते हैं. रात की गोद में सब अपने सुख-दुख को कीनारे रख कर सो जाते हैं. नवरात्रि के 9 रातें में साधना, ध्यान,व्रत, संयम, नियम,यज्ञ,तंत्र, त्राटक, योग आदि के लिए बहुत ज़रुरी होती है.
चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि यानी कि 22 मार्च 2023 दिन बुधवार को कलश स्थापना का बहुत शुभ मुहूर्त है. सुबह 8:25 की स्थापना का मुहूर्त बहुत शुभ बताया जा रहा है. ऐसे में उत्तम यही रहेगा कि निर्धारित समय में ही पूजन पर कलश की स्थापना करें. पूजा मुहूर्त 22 मार्च सुबह 6:29 से 7:39 तक ही मान्य होगा.
इन सामग्रियों से करें नवरात्रि की पूजा:-
मिट्टी का कलश,जौ बोन के लिए कोई पात्र,जौ,गंगाजल,फूल, मिट्टी, मिष्ठान, द्रव्य, सिंदूर, श्रृंगार के सामान,फल, अक्षत ,रोली, लोबान,कपूर, पाठ के लिए दुर्गा सप्तशती की किताब.
चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन सुबह जल्दी स्नान आदि करें.साफ कपड़े पहने और माता रानी का ध्यान करें. मां दुर्गा और सप्तशती का पाठ दुर्गा चालीसा का ध्यान करते हुए पूजा करे. कलश स्थापना करने वाले स्थान को स्वच्छ एवं साफ कर सजाए. एक चौकी लें और उसे गंगाजल से शुद्ध करें. चौकी पर लाल कपड़ा या पीला कपड़ा बिछाया. चावल एवं पुष्पों से उसे सजाएं. चौकी पर पानी से भरा हुआ कलश रखे. कलश को कलावा से लपेटे और उसके ऊपर आम एवं अशोक के पत्ते रखें. फिर श्रीफल को दूसरे अन्य लाल वस्त्र में लपेटकर कलश स्थापित करें.एक मिट्टी के बर्तन में जौ भिगो कर रखें. मिट्टी के बर्तन को कलश के ठीक सामने और माता रानी के प्रतिमा के साथ रखें. उसके बाद दीपक जलाएं और माता रानी की पूजा का शुभ आरंभ करें. फिर माता रानी का सिंगार करके सोलह सिंगार की वस्तुएं भी उन्हें अर्पित करें. माता रानी को फूल और माला पहना दें.मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें,दुर्गा स्तोत्र का पाठ करें. इसके बाद क्षमता अनुसार हवन करें और माता रानी को घर आने का न्योता दें.माता रानी को भोग लगाएं उनकी आरती करें. आरती के बाद माता रानी का भोग प्रसाद के रूप में खुद भी खाएं और लोगों को बांटे.
पहला दिन– 22 मार्च 2023(प्रतिपदा तिथी,घटस्थापना): मां शैलपुत्री पूजा
दुसरा दिन- 23 मार्च 2023(द्वितीया तिथी): मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
तीसरा दिन– 24 मार्च 2023( तृतीया तिथि: मां चंद्रघंटा की पूजा
चौथा दिन– 25 मार्च 2023 ( चतुर्थी तिथि): मां कुष्मांडा का पूजा
पांचवा दिन-26 मार्च 2023 (पंचमी तिथि): मां स्कंदमाता की पूजा
छठवा दिन– 27 मार्च 2023 (षष्टी तिथि: मां कात्यायनी की पूजा
सातवां दिन– 28 मार्च 2023 (सप्तमी तिथि: मां कालरात्रि की पूजा
आठवाँ दिन– 29 मार्च 2023 (अष्टमी तिथि):माँ महागौरी की पूजा
नौवा दिन– 30 मार्च 2023 (नवमी तिथि: मां सिद्धिदात्री की पूजा एवं रामनवमी
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन से आखरी दिन तक रात्रि में देवी के समक्ष घी का दीपक जलाएं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. कहते हैं इससे देवी दुर्गा बेहद प्रसन्न होती है और साधक के हर कष्ट को दूर करती है.