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साइंस में 12वीं के बाद कर सकते हैं फिजियोथेरेपी कोर्स

1652164872792 scaledफिजियोथेरेपी मेडिकल साइंस की एक ब्रांच है। फिजियोथेरेपी का हिन्दी में अर्थ होता है शरीर के बाहरी हिस्से का इलाज करना। वहीं दूसरी ओर थेरेपीज से मतलब है व्यायाम इलेक्ट्रॉथेरेपी व मसाज जैसी कलाओं का स्टेप बाई स्टेप उपयोग करके रोगों का इलाज करना।
इस विषय पर हमने औरंगाबाद(गोह) के मशहूर फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. अमित कुमार से बात की उनका कहना है फिजियोथेरेपिस्ट किसी भी प्रकार के जेनेटिक डिफेक्ट या किसी एक्सीडेंट या किसी प्रकार की बीमारी के परिणामस्वरूप उत्पन्न रोगों को ठीक करने में मदद करता है। फिजियोथेरेपिस्ट को मानव शरीर रचना विज्ञान और बोन्स, मस्ल्स और नर्वस को स्थानांतरित करने के तरीके का गहन ज्ञान होना चाहिए। फिजियोथेरेपिस्ट बीमारियों की एक विस्तृत श्रृंखला का इलाज करते हैं इसीलिए उन्हें पेडियाट्रिक, ऑर्थोपेडिक, स्पोट्र्स फिजियोथेरेपी, न्यूरोलॉजी, कार्डियोपल्मोनरी थेरेपी जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता होनी चाहिए। भारत में फिजियोथेरेपिस्ट की कमी है। क्योंकि लोगों में इस पेशे के स्कोप और प्रोस्पेक्टस के बारे में ज्यादा जागरूकता नहीं है।

फिजियोथेरेपिस्ट बनने के लिये क्या होनी चाहिए शैक्षणिक योग्यता

साइंस विषय में करना होगा इंटरमीडिएट

फिजियोथेरेपिस्ट बनने के लिए छात्रों को इंटरमीडियट यानी 12वीं कक्षा भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीवविज्ञान विषयों में 60% अंक के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है। इसके लिए आपकी अंग्रेजी लिखने और पढ़ने का ज्ञान होना चाहिए।

डिप्लोमा से लेकर पीएचडी तक कर सकते हैं

फिजियोथेरेपी विषय में छात्र डिप्लोमा, बैचलर, पीजी और पीएचडी तक के कोर्सेज में प्रवेश ले सकते हैं। बैचलर स्तर के कोर्स को बीपीटी यानी बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी कहते हैं। इस कोर्स की अवधि साढ़े चार साल होती है। इसमें आखिरी छह महीने इंटर्नशिप के होते हैं।

दो साल का होता है मास्टर कोर्स

एमपीटी यानि मास्टर ऑफ फिजियोथेरेपी कोर्स की अवधि दो साल की होती है। इसमें छात्र समान सब्जेक्ट से विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं। छात्र न्यूरोलॉजिकल फिजियोथेरेपी, पेडियेट्रिक फिजियोथेरेपी, स्पोर्ट्स फिजियोथेरेपी, ऑर्थोपेडिक फिजियोथेरेपी, ऑब्जेक्ट फिजियोथेरेपी, पोस्टॉपरेटिव फिजियोथेरेपी, कार्डियो सेक्युलर फिजियोथेरेपी आदि में स्पेशलाइजेशन भी कर सकते हैं। सरकारी कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए स्टेट या सेंट्रल लेवल का एंट्रेंस एग्जाम क्वालीफाई करना होगा जबकि प्राइवेट कॉलेज में सीधे एडमिशन मिलेगा।

एंट्रेस एग्जाम करना होगा क्लियर

फिजियोथेरेपी कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं तो सबसे पहले एंट्रेंस एग्जाम से गुजरना होगा अलग-अलग यूनिवर्सिटियां अलग समय पर एट्स एग्जाम का आयोजन करती है। इसके लिए मार्च से लेकर जून महीने तक में फॉर्म आते हैं। इसके बाद एंट्रेंस एग्जाम में आए नंबर के आधार पर दाखिला दिया जाता है।

हर महीने कमा सकते हैं लाख रुपए

फिजियोथेरेपिस्ट की सैलरी काफी अच्छी होती है। कॅरियर के शुरुआती दौर में आप 10,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक बहुत आसानी से कमा सकते हैं। बहुत सी संस्थाने इंटर्नशिप के दौरान स्टूडेंट्स के काम को देखते हुए उन्हें अपने यहां ही बतौर फिजियोथेरेपिस्ट रख लेते हैं या फिर फिजियोथेरपी की टीम में शामिल कर लेते हैं।।

Rocky

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