हैवानियत की सारी हदें पार करने वाले शिक्षक को अदालत ने 20 साल की सजा सुनाई है। शिक्षक पर एक दर्जन बच्चों के साथ यौन शोषण करने का आरोप है। वह बच्चों को एक्स्ट्रा क्लास के नाम पर घर बुलाता था और उनके साथ दुराचार करता था। फिर उन्हें धमकाता था कि अगर किसी को बताया तो जान से मार देगा।
क्या है मामला
राजस्थान के झुंझनूं जिले में स्थित सैनिक स्कूल में एक दर्जन बच्चों के साथ यौन दुराचार करने वाले शिक्षक को पॉक्सो मामलों के न्यायालय ने गुरुवार को 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। पॉक्सो कोर्ट ने दोषी शिक्षक पर 81 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जानकारी के अनुसार दोषी शिक्षक रवींद्र सिंह पढ़ाई में कमजोर बच्चों को एक्सट्रा क्लास के बहाने रात को अपने कमरे में बुलाता था और अश्लील हरकतें करता था। कई बार उसने बच्चों के साथ कुकर्म भी किया। उसने बच्चों को इतना डराया कि कोई भी उसकी शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। कोर्ट ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि स्कूल में एक शिक्षक ही जब इस तरह के घृणित कृत्य करेगा तो लोग कैसे अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे। यह क्रूरतापूर्ण अपराध है। इसके लिए शिक्षक को कड़ी सजा सुनाई जाती है। वरिष्ठ वकील गोकुलचंद सैनी ने बताया 7 दिसंबर 2019 को दोराासर झुंझुनू में स्थित सैनिक स्कूल में पेरेंट्स मीटिंग के दौरान उस वक्त हड़कंप मच गया, जब स्कूल के 12 बच्चों ने अंग्रेजी के शिक्षक रवींद्र सिंह शेखावत पर यौन शोषण के आरोप लगाए। बच्चों ने बताया था कि रवींद्र सिंह उनके साथ कई महीनों से यौन दुराचार कर रहा है। कमरे में बुलाकर गलत जगह टच करता है। कई बार कुकर्म भी किया। किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देता था। मामला सामने आने के बाद स्कूल में एक समिति बनाई गई। समिति ने बच्चों की काउंसिलिंग की, लेकिन बच्चे कुछ भी नहीं बोल सके। इसके बाद स्कूल में सीपीएमसी की बैठक हुई।
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बैठक में पेरेंट्स भी शामिल होते रहे। बैठक में बच्चों ने अपनी आपबीती बताई। शिकायत सामने आने के बाद स्कूल के तत्कालीन प्रिंसिपल अभिलाष सिंह ने 8 दिसंबर 2019 को सदर थाने में मामला दर्ज करवाया था। पुलिस ने 10 दिसंबर 2019 को रवींद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया था और जांच के बाद पॉक्सो कोर्ट में चालान पेश किया था।
सरकारी वकील ओमप्रकाश सैनी ने बताया शिक्षक रवींद्र सिंह शेखावत (41) निवासी काली पहाड़ी (झुंझुनूं) के खिलाफ कोर्ट में 36 गवाह और 85 दस्तावेज पेश किए। इसके आधार पर कोर्ट ने शिक्षक को दोषी करार दिया और पॉक्सो एक्ट की धारा के साथ ही अलग-अलग धाराओं में 20 साल के कठोर कारावास और 81 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।न्यायाधीश ने फैसला सुनाने के दौरान टिप्पणी करते कहा कि शिक्षक ही जब इस तरह के घृणित कृत्य करेगा तो लोग बच्चों को स्कूल कैसे भेजेंगे। यह क्रूरतापूर्ण अपराध है। इसके लिए शिक्षक को कड़ी सजा सुनाई जाती है।