Temple Tax Bill: कनार्टक में कांग्रेस सरकार ने 22 फरवरी को विधानसभा में मंदिरों पर टैक्स लगाने का एक बिल पारित किया. बिल के तहत वो मंदिर जिसकी आय 1 करोड़ रुपये हैं या उससे ज्यादा है, वहां मंदिर को 10% टैक्स देना होगा वही जिन मंदिरो की आय 1 करोड़ से कम और 10 लाख रूपये से ज्यादा है, उस मन्दिर पर सरकार 5% टैक्स लगाएगी. बिल को लेकर भाजपा समेत कई संत कर्नाटक कांग्रेस सरकार के विरोध में सामने आए हैं. वहीं कांग्रेस ने इस बिल का बचाव करते हुए कहा कि बिल को पास करने का मकसद कर्नाटक राज्य में 40 से 50 हजार पुजारियों की मदद करना है. बीजेपी के आरोपों का खंडन करते हुए कर्नाटक सरकार ने कहा कि यह कोई नया प्रावधान नहीं है, बल्कि 2003 से अस्तित्व में है.
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इस बिल का नाम ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’
‘हम हिंदू विरोधी नहीं हैं, बीजेपी के लोग हिंदू विरोधी है’
भाजपा के विरोध का जवाब देते हुए मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि हम हिंदू विरोधी नहीं हैं, BJP के लोग हिंदू विरोधी है. पहले 2003 में ये कानून अस्तित्व में आया था. इसके बाद कानून को लेकर साल 2011 में संशोधन किए गए. 5 लाख रुपये की आय वाले उस समय लगभग 34,000 मंदिर थे. जिन्होंने धर्मिका परिषद के लिए कोई पैसा नहीं दिया. वो मंदिर जिनकी आय 5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक है, उन्हें 5% धर्मिका परिषद को देना पड़ता है. इसके अलावा कर्नाटक के अंदर लगभग 205 मंदिर है जिनकी आय 10 लाख रुपये से अधिक हैं उन्हें 10% टैक्स देना होगा. इन मंदिरो ने साल 2011 में विधानसभा में इस संशोधन को मंजूरी दी थी. हिंदू विरोधी कौन है?
आगे रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि ये बिल नया नहीं है बल्कि 2003 से ही ये बिल है. हमारे राज्य कर्नाटक में 50 हजार से ज्यादा पुजारी हैं जिनकी मदद कर्नाटक सरकार करना चाहती है. अगर इस बिल के पारित होने से पैसा धर्मिका परिषद तक पहुंचेगा तो कर्नाटक सरकार उन पुजारियों का बीमा करवा सकती हैं. यदि पुजारियों के साथ कुछ होता है तो उनके परिवार को कम से कम 5 लाख रुपए मिलें. इसके अलावा बिल का मकसद मंदिर के पुजारियों के बच्चों को स्कॉलरशिप देना है, जिसके लिए कम से कम कर्नाटक सरकार को हर साल 5 से 6 करोड़ रुपए की जरूरत होगी.