वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी के लिए आयोजित हुई श्रद्धांजलि सभा और साजन सिनेमा से भारत माता मंदिर तक का निकाला गया मौन प्रतिवाद मार्च

वरिष्ठ मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी के लिए आयोजित हुई श्रद्धांजलि सभा और साजन सिनेमा से भारत माता मंदिर तक का निकाला गया मौन प्रतिवाद मार्च

UAPA और NSA जैसे कानूनों पर रोक की उठाई गयी माँग ।

राजकुमार गुप्ता वाराणसी :

सिगरा (23 जुलाई 2021) 84 वर्षीय वयोवृद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के लिए सिगरा स्थित अस्मिता संस्थान में साझा संस्कृति मंच और एनएपीएम के द्वारा श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। गोष्ठी के बाद साजन सिनेमा से भारत माता मंदिर तक पैदल मौन प्रतिवाद मार्च निकाला गया। भारत माता मंदिर पर पंहुचकर मोमबत्ती जलाकर फादर स्टैन को श्रद्धांजलि दी गयी। UAPA और NSA जैसे अमानवीय, असंवेदनशील और संविधान की मूल भावना के खिलाफ काम कर रही असीमित ताकत से लैस जांच एजेंसियों को खत्म करने के बेहद गंभीर मांग के साथ शहर भर से जुटे बुद्धिजीवी , शैक्षणिक समाज के प्रतिनिधियों ने आदिवासी , मजदुर और गरीबों के लिए संघर्ष करने वाले 84 वर्षीय फादर स्टैन स्वामी की न्यायिक हिरासत में हुई मौत की जाँच की मांग की गयी।

84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी को भीमा कोरेगांव मामले में 8 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था। उन पर माओवादियों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश का आरोप लगाया गया था । इससे पहले इसी मामले में सुधा भारद्वाज, सुरेंद्र गडलिंग, वरवरा राव, सुधीर धवले, आनंद तेलतुंबड़े जैसे 16 लोगों गिरफ्तार किया जा चूका था। बुद्धिजीवी जमात और शैक्षणिक जगत के जाने माने चेहरे …. पत्रकार, वकील, कवि, लेखक व सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ताओं को ऐसे संगीन मामले में गिरफ्तार किया जाना NIA की एक अजीब सी और भरोसा न कर पाने लायक कार्यवाही थी। आर्सेनल की रिपोर्ट ने यह सिद्ध किया है कि इन लोगों के लैपटॉप में वायरस डाला गया है और छेड़छाड़ किया गया है। इसमे अधिकांश बंदी किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं। इससे पहले वरवरा राव की भी तबियत काफी खराब हो चुकी थी। देश विदेश से हुए विरोध व दबाव की वजह से उन्हें मेडिकल आधार पर 6 महीने की बेल मिली। उम्र , अनुभव, शैक्षणिक उपलब्धि, सामाजिक सरोकार , प्रकृति प्रेम आदि कई कसौटियों जेल मे बंद ये नागरिक बेहद सम्मानित हैं। देश के साथ साथ विदेश में भी इनकी गिरफ्तारी पर लगातार सवाल उठाया जा रहा है। भीमा कोरेगाँव मामले पर एक बृहद और विधिपरक चर्चा की आवश्यकता समझ में आ रही है, फादर स्टैन को याद करते हुए फादर प्रकाश लुईस ने उनके जीवनवृत्त पर संक्षेप में बताया , फादर स्टेन स्वामी ईसाई साधक और झारखंड में स्थित एक आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता थे। उन्होंने भूमि, वन और श्रम अधिकारों पर आदिवासी समुदायों के विभिन्न मुद्दों पर तीन दशकों से अधिक समय तक राज्य में काम किया था। इसमें संविधान की पांचवीं अनुसूची के गैर-कार्यान्वयन जैसे बेहद जरुरी मुद्दे पर पर सवाल उठाना भी शामिल है, जिसमें राज्य में उनकी सुरक्षा, कल्याण और विकास के लिए केवल आदिवासी समुदाय के सदस्यों के साथ एक जनजाति सलाहकार परिषद की स्थापना की गई थी।एनआईए द्वारा उन्हें हिरासत में लेने से दो दिन पहले दिए गए एक बयान में, स्वामी ने कहा था कि उन्होंने हजारों युवा आदिवासियों और मूलवासियों की “अंधाधुंध” गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। आश्चर्य है की जांच एजेंसियों ने उन्हें “नक्सल” करार दिया है। स्वामी ने राज्य के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें विचाराधीन कैदियों को निजी मुचलके पर रिहा करने और त्वरित सुनवाई करने की मांग की गई थी। उन्होंने मुकदमे की प्रक्रिया में देरी के कारणों की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग की नियुक्ति की भी मांग की थी। जेल में बंद अनगिनत लोगों के लिए स्टैन स्वामी एक उम्मीद थे। स्वामी के काम में “भूमि बैंकों” की स्थापना का विरोध भी शामिल था, उनका तर्क था कि छोटे और बड़े उद्योग स्थापित करने के लिए आदिवासी समुदाय से संबंधित भूमि को मुक्त करके उन्हें वापस कर देना चाहिए। श्रद्धांजलि सभा में जुटे लोगों ने जनपक्षधर संघर्ष करने वाले कार्यकर्ताओं को फंसाने, जेल में बंद करने व उन्हें प्रताड़ित करने की कार्यवाही को एक पैटर्न के तौर पर स्थापित होता देखकर दुःख और चिंता प्रकट किया।

सभास्थल पर मांग की गई कि,

1- 84 वर्षीय फादर स्टैन स्वामी की न्यायिक हिरासत में हुई मौत की जाँच हो।

2- भीमा कोरेगाँव केस में झूठे फंसाए गए नागरिकों को अविलम्ब रिहा किया जाए।

3- राजनैतिक बंदियों को अपराधी घोषित कर, सत्ता द्वारा किया जा रहा असंवैधानिक व्यवहार बंद हो।

4- NIA पर प्रतिबंध लगे , किसी अवकाशप्राप्त न्यायाधीश से इसके असंवैधानिक कृत्यों की जाँच हो।

5- UAPA और NSA जैसे अमानवीय, असंवेदनशील और संविधान की मूल भावना के खिलाफ बने कानून, जो की जांच एजेंसी को असीमित ताक़त देते हैं , पर रोक लगे।

कार्यक्रम का संचालन नंदलाल मास्टर ने किया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो0 महेश विक्रम सिंह, नंदलाल मास्टर, वल्लभाचार्य पांडेय, फा० लुईस प्रकाश ,अफलातून , रामजनम भाई , महेंद्र , मनीष, ऐड० सुरेंद्र चरण , राजेन्द्र चौधरी, राजकुमार गुप्ता , सानिया अनवर, प्रवाल रमन, प्रज्ञा, नीति, डॉ इंदु पाण्डेय, अनिता, आशा, सोनी, सरोज धनञ्जय इत्यादि लोग शामिल रहें।

धन्यवाद! 

TFOI Web Team