पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने फिर से पश्चिम बंगाल के नाम को बदलने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा। ममता ने कहा कि अगर बॉम्बे का नाम बदल कर मुंबई, उड़ीसा का नाम ओड़ीसा तो बंगाल का नाम बांग्ला क्यों नहीं. इसमें हमारी क्या गलती है? ममता ने आगे कहा की ‘हमने राज्य विधानसभा से पहले ही प्रस्ताव पारित कर दिया था लेकिन लंबे समय से मांग करने के बावजूद भी हमारे राज्य का नाम नहीं बदला गया।’
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने फिर से राज्य का नाम बदलने की मांग उठाई है और इस संबंध में उन्होंने केंद्र सरकार को एक पत्र भी भेजा है। ममता बनर्जी का कहना है की बॉम्बे का नाम अगर मुंबई हो सकता है, और उड़ीसा का नाम अगर ओडिशा हो सकता है, तो फिर पश्चिम बंगाल को बांग्ला कर देना चाहिए। इसके लिए ममता सरकार ने राज्य की विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन लंबे समय से मांग करने के बाद भी राज्य के नाम में बदलाव नहीं किया गया।
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ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की मांग 11 साल से पूरी नहीं हो पा रही है। लेकिन ममता बनर्जी को निराश करने के लिए केवल नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. पहली बार 2011 मे पश्चिम बंगाल में सत्ता में आने के बाद ममता दी ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर “बांग्ला” करने के लिए केंद्र को चिट्ठी लिखी थी। केंद्र में तत्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया था।
2014 में नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद ममता ने अपनी मांग फिर से दोहराई. अगस्त 2016 में पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य का नाम बदलने और इसे तीन नाम देने का प्रस्ताव पास किया- अंग्रेजी में Bengal, बांग्ला भाषा में बांग्ला और हिन्दी में बंगाल. नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार ने इस मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस नाम पर आम सहमति नहीं है। क्योंकि ममता बनर्जी वाम मोर्चा, कांग्रेस पार्टी और भाजपा को विश्वास में लेने में विफल रही हैं.
पहली बार नहीं है, कि जब किसी राज्य सरकार ने अपने प्रदेश का नाम बदलने की मांग की है. पहले भी कई बार राज्यों का नाम बदला जा जा चुका है. कुछ राज्यों के नाम तो भारत की आजादी के तुरंत बाद ही बदल दिये गये- कुछ कठिन नाम आसान करने के लिए कुछ मजबूरियों के कारण. यूनाइटेड प्रोविंस का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश किया गया जबकि उसका संक्षिप्त नाम यूपी ही रहा. त्रावणकोर और कोचिन की रियासतों को मिला कर नया नाम केरल किया गया.