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पश्चिमी बंगाल: क्या बंगाल में लगेगा राष्ट्रपति शासन? केंद्र सरकार NIA जांच की तैयारी में

पश्चिमी बंगाल: इस समय पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार काफ़ी सुर्खियों में है. यह मामला उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली गांव का है. यहां की कई महिलाओं ने स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं. इन आरोपों को लेकर बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर विपक्षी दल सवाल उठा रहे है. विपक्षी दलों के नेता पश्चिमी बंगाल में राष्ट्रपती शासन की मांग कर रहे हैं, वही ऐसा कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार इन घटनाओं की NIA से जांच कराने की तैयारी में हैं.

वही राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा पश्चिमी बंगाल के संदेशखाली गांव पहुंची थीं. रेखा शर्मा ने संदेशखाली की पीड़ित महिलाओ से मुलाकात की. रेखा शर्मा ने ममता बनर्जी पर निशाना साधा और कहा कि ममता को इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्हें आम नागरिक बनकर संदेशखाली में जाना चाहिए, तभी वो महिलाओं का दर्द समझ पाएंगी. इससे पहले बंगाल की CM ममता बनर्जी ने संदेशखाली को लेकर एक बयान दिया था. उन्होंने अपने बयान में कहा कहा कि संदेशखाली में एक घटना कराई गई है. इस घटना की पूरी पटकथा भाजपा और ED ने साथ मिलकर लिखी. ममता बनर्जी ने कहा कि संदेशखाली में एक भी महिला ने प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई. ममता बनर्जी ने ही पुलिस को इस संबंध में स्वत: संज्ञान लेने का निर्देश दिया था.

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कब से चल रहा यह मामला ?

बंगाल के उत्तर परगना 24 का संदेशखालि गांव की महिलाओं ने टीएमसी नेता शेख शाहजहां पर गंभीर आरोप लगाया है कि उन्होंने कुछ महिलाओं के साथ यौन शोषण भी किया, इसके साथ ही शाहजहां पर उनकी जमीन पर कब्जा करने का भी आरोप लगाया गया है. बीजेपी कार्यकर्ता टीएमसी के नेता शाहजहां शेख और उनके सहयोगियों द्वारा महिलाओं पर कथित अत्याचार किए जाने को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इस मामले को लेकर भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार पश्चिम बंगाल में हिंसा प्रभावित संदेशखली जा रहे थे, लेकिन उनके वहां जाने पर रोक लगा दी गई थी, जिसके बाद भाजपा कार्यकर्ता और पुलिस कर्मियों के बीच हाथापाई हो गई. झड़प के दौरान मजूमदार के कई चोटें लगी थीं. इस घटना को लेकर मजूमदार ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, डीजीपी और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी.

सुप्रीम कोर्ट कर रही है जांच

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा दखल दिया. कोर्ट ने संसद की विशेषाधिकार समिति के नोटिस पर रोक लगा दी. टीएमसी सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कदम उठाया. इसके साथ ही कोर्ट ने लोकसभा सचिवालय को नोटिस दिया और 4 हफ्ते में जवाब मांगा है. टीएमसी सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह मामला पूरा राजनीति से प्रेरित है. जब धारा 144 लागू है तो उसका उल्लंघन कैसे किया जा सकता है. धारा 144 लागू होने के बाद राजनीतिक कार्यक्रम नहीं कर सकते. कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जो शिकायत दर्ज कराई गई है वो पूरी तरह से गलत कहानी पर की गई है. हम आपको वीडियो दिखा सकते हैं. वहां जाने वाले सांसद उस क्षेत्र के नहीं है.

Anjali Singh