मेरी प्यारी सी गुड़िया और उसका विश्वसनीय साथी
ऊर्जा से भरी चंचला हमारी लगती सुंदर कितनी प्यारी ।।
नटखट, चुनचुन बातें करती। हर पीड़ा ये मन की हरती ।।
आफ़तों से नित नई घिरती। ध्यान एक न उस पर धरती ।।
विश्व विजेता बनके मन से। चली चंचला तन के प्रण से।।
(मेनका वर्मा ‘मौली’ प्रगतिनगर, भिलाई)
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