समस्यात्मक संभोग!

100 बरस की जिंदगी से अच्छे हैं, प्यार के दो चार दिन। वाकई कैसा अनोखा प्यार होता है। 36525 दिन में केवल 4 दिन प्यार के गुजार लेने से, बाकी दिन का क्या। मन का, तन का या दोनों का प्यार जिससे बचे हुए दिन कट जाएं।
उनसे मिली नजर कि मेरे होश उड़ गए, निगाहें मिलाने को जी चाहता है, जादू तेरी नजर खुशबू तेरा बदन,आओ हुजूर तुमको सितारों में ले चलूं, यह प्यार है या आंखों का कमाल।
प्रत्येक विषय वस्तु पर एक या अनेक विचार होते/ हो सकते हैं, जिसमें आंख, दिल,दिमाग और मन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मन के अनुरूप किया कर्म श्रेष्ठ माना जाता है।इसलिए प्रेम में मन का शामिल होना बेहद आवश्यक है। आंख, दिल और दिमाग से धोखा भी हो सकता है।

मनोविज्ञान के अनुसार ‘संभोग’ स्त्री या पुरुष की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक, सुखी जीवन के साथ, वंश को आगे बढ़ाना उद्देश्य है। काफी समय पहले से ‘ संभोग ‘ आनंद का विषय बना दिया गया है, गलत मतलब निकालते हुए प्रेम का नाम दिया जा रहा है। समस्या बढ़ती ही जा रही है, उम्र से पहले ही समस्या पैदा हो जाना, जिसका मुख्य कारण चित्रों या चल चित्रों का आकर्षक गिरोह ‘आंख, दिल और दिमाग’ पर गहरा असर डालते हुए, घेरने में कामयाब हो जाता है। उदाहरण –

कुंडी मत खड़काओ राजा, सीधे अंदर आओ राजा,
कूल अच्छा परफ्यूम लगाके, मूड बनाओ ताज़ा ताज़ा

दम दम बम बम, खींच मेरे हम दम, भूलेगी सारे गम

अभी तो पार्टी शुरू हुई है, पापा से नहीं डरेंगे
सुबह 6 बजे तक पार्टी, यार तेरा कर लेगा हैंडल।

ऐसे बहुत से उदाहरण है। निश्चित समय से पहले या बाद में पथ से भटक जाना, गम्भीर चिंता का विषय है, कुछ जन, समस्या से घिरकर बिना सोच विचार के कार्य करते है , उनके द्वारा किए गए शर्मनाक उपाय, बेहद गंभीर स्थिति पैदा कर देते हैं। हम सब देख व सुन ही रहे हैं कि समाज में हृदय को विचलित करने वाली घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। बहुत ही नाजुक विषय, जिसको शर्म के कारण परिवार या अन्य से साझा करके उस पर चर्चा नहीं कर पाते हैं। इस स्थिति को असामान्य कहा जा सकता है, स्थिति असामान्य होने में परिवार और समाज का भी बहुत बड़ा हाथ होता/ हो सकता है।

विषय दिल दिमाग का खेल, उसमें आंखों का सहयोग है, इन से उत्पन्न भावनाओं को नियंत्रित करना आसान कार्य नहीं। कितने सारे तरह तरह के बाबा इसमेें फस गए, तो सामान्य का क्या हाल होगा। समस्या का हल भी जरूरी है, तो क्या किया जाए।
समस्या का हल करने के लिए, कई प्रकार के उपाय ढूंढे जाते हैं। कुछ उन निर्धारित जगहों पर जाते है, जहां ऐसे कार्यो को स्वीकृति मिली हुई है। वहां पर अनुचित घटनाएं कुछ कम होती है। पुराने समय को देखें तो उस समय में भी लोग ऐसे स्थानों पर समस्या को हल करने जाते थे।

समाज के कई हिस्सों में ऐसी जगहों को स्वीकृति नहीं मिली है, लोग इसको बहुत ही अनुचित मानते है, उनके विचार उत्तम है। लेकिन समस्या को हल कैसे किया जाए, समस्या वाले लोग क्या करें। इनमें से कुछ समझदार लोग विभिन्न साधनों के माध्यम से जिसमें स्वयं के हाथों का प्रयोग शामिल, हल करते है। इसे उचित नहीं ठहराया जा सकता, लेकिन अनुचित घटनाए तो नहीं होगी।

कुछ लोग बिना कुछ सोचे समझे, समस्या को हल करने के लिए, बहुत ज्यादा ही अनुचित कार्य कर देते हैं, जो बहुत ही निंदनीय है। अपने पल भर के आनंद के लिए, अपने और अपने परिवार को जीवन भर के लिए अपाहिज कर देते है। परिवारों का बजूद, समाप्त हो जाता है। किसी और की हसती खेलती जिन्दगी बरबाद हो जाती है। आजकल विषय से संबंधित समाज में भय व्याप्त है। कुछ प्रेमी जोड़े 4 दिन जी कर अलग हो जाते हैं, इनमें से कुछ आत्महत्या भी कर लेते है।

प्रेम में त्याग आवश्यक है, लेकिन अनुचित कर्मों का नहीं।सभी अनुचित कार्यों के द्वारा समस्या का हल, शरीर के कई हिस्सों में बहुत गहरा असर डालता है। वैवाहिक जीवन में कई जोड़े, अपने साथी को खुश नहीं कर पाते, सही आनंद नहीं मिल पाता, जिनके वे हकदार हैं, समय से पहले ही उत्तेजित हो जाना। कारण मन अप्रसन्न का बना।अब पुन: समस्या निजी जीवन में, जब सबसे ज्यादा जरूरी। कई जोड़े संतान प्राप्ति में सफल नहीं होते, कोशिशों के बाद भी निसंतान रहते हैं। वैवाहिक जीवन को सुख मय बनाने के लिए, इसका उद्देश्य प्रारंभ से ही मन में होना चाहिए। वैवाहिक जीवन को सफल बनाने हेतु पहले अनुचित कार्यों से बचना चाहिए।

परिवार में हम सबको मिलकर, एक दूसरे की भावनाओं को समझना होगा, समय निकालना होगा, अनुभवों के द्वारा, समस्या की प्रारंभिक अवस्था से लेकर हल होने तक उपाय सुझाना होगा। जैसा खाओगे अन्न, वैसा बनेगा मन, उस पर ध्यान देना होगा। संचार माध्यमों का निगरानी में उपयोग करना होगा। संभोग का उद्देश्य समझाना होगा। सभी समझदार हैं, मन की इन्द्रियों को वश में करने के उपायों का प्रयास करना होगा । अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी। जीवन में सत्य प्रेम की आवश्यकता है। इसे सफल बनाने का प्रयास करें।

(यह लेखक के व्यक्तिगत विचार है)

ऋषि कुमार दीक्षित,
एटा, उत्तर प्रदेश

TFOI Web Team

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