नारी शक्ति भारतीय : ‘जाँबाज़ उड़न परियाँ

नारी शक्ति भारतीय : ‘जाँबाज़ उड़न परियाँ
  महिला सशक्ति करण के परिप्रेक्ष्य में आज हम गौरवशाली भारत की सशक्त/प्रगतिशील महिलाओं की भागीदारी की चर्चा करेंगे।
 जमाना आज बदल चुका है, आज नारी अबला नहीं सबला है।
   तो आइए चर्चा करते हैं हम अपने देश की सबसे  जांबाज उन  उड़न परियों की—-अर्थात उन महिला  पायलटों की, जो सामान्य से असामान्य का गौरव प्राप्त कर चुकी हैं।
सबसे पहले 2021 की घटना  को लेते हैं—–एयर इंडिया की चार महिला पायलटों ने इतिहास रच दिया है। जोया अग्रवाल के नेतृत्व में कैप्टन पापागिरी तन्मई, कै0आकांक्षा सोनवरे, कै0 शिवानी  मन्हास ने सैनफ्रांन्सिसको से बेंगलुरू की 16,000 कि.मी. की नॉन स्टाप उड़ान उत्तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ा कर समय और 10 टन ईंधन की बचत कर , इतिहास रच दिया है। इस चुनौती पूर्ण उड़ान की क्रू में सिर्फ महिलाएँ थीं, और 238 सीट वाले विमान के कॉकपिट  में एयर इंडिया की एग्जिक्यूटिव ड़ायरेक्टर कैप्टन निवेदिता भसीन  भी थीं।
भावना कांत,अवनी चतुर्वेदी और मोहना सिंह—-ये तीनों भारतीय वायुसेना की फाइटर पायलट हैं।  2016 में इनकी ट्रेनिंग पूरी हुई। बहुत जद्दोजहद के बाद भारतीय सेना में महिलाओं को जगह मिली।
शिवांगी स्वरूप—- नेवी की पहली महिला पायलट बनने का  सौभाग्य इन्हें  प्राप्त है। ”  गोल्ड़ एरा ” स्क्वाड्रन दल में हैं , जिसमें  एक से दूसरे विमान में शिफ्ट होने की दक्षता होती है।  विंग कमांडर अभिनंदन वर्धन के साथ राजस्थान के फारवर्ड़ बेस पर तैनात थीं।
अवनी चतुर्वेदी—-फाइटर प्लेन उड़ाने वाली प्रथम भारतीय महिला पायलट बनने का सौभाग्य इन्हें प्राप्त है ; साथ ही बाइसन को भी इन्होंने अकेले उड़ाया है ।
भावना कांत—गणतंत्र दिवस की परेड़ का नेतृत्व कर  भावना कांत ने एक नया इतिहास रचा है।  पहले  ये गौरव सिर्फ  पुरुषों को प्राप्त था ।
आएशा अजीज—– कश्मीर की बेटी सबसे कम आयु की महिला पायलट हैं।  मिग 29 उड़ाने का गौरव प्राप्त है इन्हें।  भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स इनकी प्रेरणा स्रोत हैं।
इन सभी जांबाज उड़न परियों की  साहस की चर्चा के साथ  अगर हम एयर इंडिया की प्रथम महिला पायलट की चर्चा नहीं  करेंगे तो ये चर्चा अधूरी रह जाएगी।
एयर इंडिया की पहली महिला पायलट बनने का सौभाग्य सरला ठकराल को प्राप्त है । सरला ठकराल  ने1936 में पायलेट का लाइसेंस प्राप्त किया था।  सरला ने जब उड़ान भरी वे चार साल की बच्ची की माँ थीं । और भारतीय पारिधान, साड़ी पहन कर उड़ान भरी थी। उस समय भारतीय महिलाओं का घर से बाहर  निकलना  भी बहुत  बड़ी बात थी।
बाद में द्वितीय विश्वयुद्ध के  बाद परिस्थितियाँ बदल चुकी थीं , और उनके पायलट  बनने की राहें आसान नहीं  होने के कारण उन्होंने  चित्रकारी और फिर  हैण्ड क्राफ्ट को अपना लक्ष्य बना कर महारथ  हासिल की ।
 ये तो हुई सिर्फ उड़ान की चर्चा।  हमारे देश की महिलाओं की तरक्की की  कहानी इस एक आलेख में  संभव नहीं है। असीमित उन्नति कर चुकी हैं, कर रही हैं और करेंगी  भारत की बेटियाँ/ नारियाँ।
    जय भारत जय नारी शक्ति।
मंजुला शरण “मनु “
राँची, झारखंड  ।
TFOI Web Team