बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती राबड़ी देवी बिहार के राजनीतिक सिरमौर बनने वाली अकेली महिला हैं। जिनका जन्म 1 जनवरी 1956 गोपालगंज में पिता शिवप्रसाद यादव के घर हुआ था। 17 वर्ष की आयु में सन् 1973 में इनकी शादी लालू प्रसाद यादव से हुई थी। लालू प्रसाद यादव के साथ रहकर लगातार ए बिहार की राजनीति पर अपने किचन से नजर रखती थीं। हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि उन्हें राजनीति से कुछ लेना देना नहीं था।पर यह बात नहीं झूठलाई जा सकती कि जिसके पति मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हुए हैं उनकी पत्नी को राजनीति की एबीसीडी भी नहीं आती हो!ऐसे बात करने वाले लोग सिर्फ और सिर्फ दुर्भावना वश कहते हैं।
फिर भी जो भी हो स्वतन्त्र भारत में बिहार प्रान्त की पहली महिला मुख्यमन्त्री बनने का गौरव श्रीमती राबड़ी देवी ने हासिल किया।25 जुलाई 1997 वह ऐतिहासिक दिन था जिस दिन बिहार के राजगद्दी पर अपने पति के विरासत को संभालने के लिए सीधे किचन से निकलकर राजभवन पहुंच कर अपने नेतृत्व में सरकार बनाने की दावा प्रस्तुत कर दी और बिहार की मुख्यमन्त्री के कुर्सी पर काबिज हो गईं। मुख्यमंत्री का ताज उन्हें कोई उपहार में नहीं बलिक तत्कालिक मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के द्वारा इस्तीफा देने से उपजे परिस्थितियों के फलस्वरुप विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से श्रीमती राबड़ी देवी को अपना नेता चुनने के बाद मिला।राबड़ी देवी को विधायक दल के नेता चुनने में अहम योगदान लालू प्रसाद यादव ने दिया था।उन्होंने अपने ऊपर कसती शिकंजा को ही अपना ढाल बना लिया और पहली बार एक महिला को बिहार की कुर्सी पर पहुंचाने का ऐतिहासिक और साहसिक निर्णय कर सभी राजनीतिक जानकारों चौका दिया था। जहां लोग उम्मीद लगाए बैठे थे लालू प्रसाद यादव को प्रधानमंत्री की कुर्सी की ओर बढ़ते कदम को रोककर सियासी चक्रव्यू में मात देने के लिए और उनके राजनीति को हमेशा हमेशा के लिए जमींदोज करने के इरादे से कुछ अफसरों से मिलकर उनके विरोधी व विपक्षियों ने उनके पांव में बेड़ी डालने की भरपूर कोशिश की।लेकिन जो लोग हौसलों की उड़ान भरते हैं भला उन्हें कौन रोकता है उन्होंने उसका काट राबड़ी देवी को बिहार के मुख्यमंत्री बना कर प्रस्तुत किया और खुद आगे चलकर बिहार के राजनीति से आगे भारत सरकार में केंद्रीय रेल मंत्री तक पहुंचे।
राबड़ी देवी यादव एक ऐसी भारतीय महिला राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में तीन बार सेवा की , इस पद को संभालने वाली पहली और एकमात्र महिला हैं। उन्होंने बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर भी लंबी अवधि तक काम किया और वर्तमान में वह विधान परिषद के सदस्य और विपक्ष की नेता हैं ।
उन्होंने तीन कार्यकाल में मुख्यमन्त्री पद सम्भाला । मुख्यमन्त्री के रूप में उनका पहला कार्यकाल दो साल का रहा जो 25-07-1997 – 11-02-1999 तक चल सका। दूसरे और तीसरे कार्यकाल में उन्होंने मुख्यमन्त्री के तौर पर अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा किया। उनके दूसरे और तीसरे कार्यकाल की अवधि क्रमशः सन् 09-03-1999 – 02-03-2000 और 11-03-2000 – 06-03-2005 रहा।राबड़ी देवी वैशाली के राघोपुर क्षेत्र से तीन बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुईं।
राबड़ी देवी ने लंबी अवधि तक बिहार का नेतृत्व किया।बिहार के विकास के लिए लगातार काम करती रहीं।विरोधियों के द्वारा लगातार किए जा रहे दुष्प्रचार के बावजूद उन्होंने कभी मुड़ कर पीछे नहीं देखा।वे हमेशा बिना लाग लपेट के उनके दुष्प्रचार का जवाब देती रही।उसका ही परिणाम था कि उन्हें और उनकी सरकार को दोबारा बिहार की जनता ने बहुमत दी और उन्होंने सात वर्ष से अधिक समय तक बिहार की सेवा की।जब उनके विरोधियों को लगा कि यह महिला भी लालू यादव के नक्शे कदम पर चल रही है तो उन्होंने इन्हें भी अपने षड्यंत्र में घसीटा और बदनाम करके बिहार की सत्ता से बेदखल कर दिया।जानकारों का कहना है कि उन्हें सत्ता से दूर रखने के लिए तीन तीन बार राष्ट्रपति शासन का सहारा लिया गया परंतु फिर भी लोग सफल नहीं हो सके और वे सफलतापूर्वक अपना कार्यकाल पूरा कीं।आज भी उनकी पार्टी बिहार में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में काबिज है।साथ ही पड़ोसी राज्य झारखंड में उनकी पार्टी सरकार की हिस्सेदार है।
-गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम
सामाजिक और राजनीतिक चिंतक
औरंगाबाद बिहार