वास्तु शास्त्र: वास्तु में कुल 9 दिशाएं होती है. घर की दक्षिण दिशा का संबंध करियर से होता है दक्षिण पश्चिम दिशा का संबंध व्यक्ति की कुशलता और ज्ञान से होता है. पश्चिम दिशा का संबंध व्यक्ति के परिवारिक संबंधों से जुड़ा होता है उत्तर दिशा का संबंध सामाजिक सम्मान से होता है उत्तर पश्चिम दिशा धन और शांति से जुड़ी होती है इसी तरह उत्तर पूर्व की दिशा पति पत्नी के अच्छे संबंधों और प्यार से जुडी़ होती है घर के पूर्व दिशा बच्चों से संबंधित है यह दिशा उनके प्रगति सोच और स्वास्थ्य को प्रभावित करते है.
घर का मुख्य द्वार:- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार पूर्व की दिशा में होना चाहिए इससे घर में सुख शांति का आगमन होता है घर का मुख्य द्वार भूलकर भी दक्षिण दिशा में ना बनवाए इससे घर में बहुत ही मुश्किल है आती है घर के प्रमुख तौर पर किसी तरह की बिजली का खंभा या पेड़ नहीं होना चाहिए. घर के सामने तिराहा चौराहा नहीं होना चाहिए इसका मुख्य कारण यह है कि घर में नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं जो कि घर के सदस्यों को नुकसान देता है.
घर में देवताओं की दिशा:- घर के निर्माण के समय अग्नि वायु और जल देवता का विशेष स्थान होता है इनके निर्धारित दिशाओं पर भी इनका जगह होना चाहिए अग्नि के अस्थान पर अग्नि से संबंधित कार्य किए जाते और जल के स्थान पर जल से संबंधित कार्य कृत दिशा में काम होने से नुकसान होता है.
रसोई की दिशा:– रसोई में अग्नि से संबंधित सारे काम होते हैं इसलिए अग्नि कोण में यानी दक्षिण पूर्व की दिशा में रसोई को शुभ माना जाता है.
पूजा घर:- पूजा घर के लिए वास्तु में सबसे उचित स्थान स्थान कौन है ईशान कोण देवताओं की दिशाएं और देवता पूजा घर में ही विराजमान होते हैं इसलिए पूजा घर ईशान कोरिया ने उत्तर पूर्व दिशा में ही बनवाना शुभ माना जाता है.
शौचालय की दिशा:– वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय नेत्रित्व कोण में होना चाहिए. शौचालय के पास कभी भी पूजा घर नहीं होना चाहिए.
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