आध्यात्मिक

नीलकंठ महादेव भगवान करते हैं भक्तों की मनोकामना पूर्ण

 बरहज : मुख्यालय से 28 किमी दूर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर बरहज नगर से पूरब तरफ रामजानकी मार्ग से दो सौ मीटर की दूरी पर दक्षिण तरफ स्थित है। यहां आने जाने के लिए हर समय साधन मिलता है। बरहज पहुंचने के बाद ई-रिक्शा व रिक्शे से वहां पहुंचा जा सकता है। बताया जाता है कि आज से करीब साढ़े तीन सौ साल पूर्व एक किसान अपने खेत की जोताई कर रहे थे। इसी दौरान हल का फाल एक पत्थर से टकराया। बार-बार ऐसा होने पर किसानों ने उस स्थल की खोदाई की तो वहां शिवलिंग के आकार का पत्थर दिखा। शिव¨लिंग बढ़ने लगा। खोदाई के दौरान ही वहां एक संत प्रकट हुए और खोदाई बंद करने को कहा। किसानों ने खेत होने का हवाला देते हुए पत्थर निकालने का दबाव बनाया तो उन्होंने शिव¨लिंग वहां से न निकालने के बदले वरदान मांगने को कहा वरदान मांगने पर किसानों को खुशहाली देकर वहां से गायब हो गए।

लोग संत को शिव बताते हुए शिव¨ की पूजा करने लगे। तब से वहां पर शिव की पूजा होने लगी तब वहां पर केवल एक जंगल झाड़ था बाद में 2010 में बहुजन समाज पार्टी के विधायक राम प्रसाद जायसवाल ने दो भव्य मंदिरों का निर्माण कराया गया। यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं के अगाध आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि यहां मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है। मंदिर के पीठाधीश्वर सूरदास त्यागी ने रविवार को मंदिर के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि 1999 में हमें इस मंदिर का सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ क्योंकि जन्म से अंधा होने के कारण हमें लोग मुन्ना सुर के नाम से जानते थे लेकिन 1999 के बाद जब मैं नीलकंठ महादेव के शरण में आया तब से मेरा नाम सूरदास मुन्ना त्यागी भगवान शिव ने सपने में रख दिया तब से मेरा नाम सूरदास त्यागी के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां पर दूर-दूर से भक्तगण अपने मन में मुरादे लिए आते हैं। और महादेव की कृपा से भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण होती है।

महादेव नीलकंठ पर हर समय भक्तों का अटूट विश्वास है। बाबा के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के सभी संकट दूर हो जाते हैं। वैसे तो यहां हर समय भीड़ लगी रहती है।, लेकिन सावन में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है। श्रद्धालुओं की सुविधा का विशेष इंतजाम है। बाबा भोलेनाथ की कृपा यहां पर हर समय बरसती है। बाबा नीलकंठ महादेव के दरबार मे में मेरे मन की मुराद पूरी हुई है। इनकी कृपा से कोई भक्त बाबा के दरबार से निराश होकर नहीं जाता है ऐसा पौराणिक मान्यता है। 8 मार्च को महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव बारात एवं भंडारे का आयोजन किया जाएगा जिसकी तैयारी जोरों पर चल रही है।

 

Vinay Mishra

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