Updated: 17/06/2022 at 12:55 PM
poornima mishra -THE FACE OF INDIA
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Sankashti Chaturthi 2022: आज है संकष्टी चतुर्थी, जानें मुहूर्त, मंत्र, चंद्रोदय समय और पूजा विधि और व व्रत कथा
Sankashti Chaturthi 2022- आषाढ़ माह की संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) आज 17 जून शुक्रवार को है. यह कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत है. आज गणेश जी, चंद्रमा की पूजा करने और व्रत रखने से सभी संकट दूर होते हैं. संकटों को हरने वाली संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रमा की पूजा करना अनिवार्य है. इसके बिना व्रत पूरा नहीं होता है.जानते हैं संकष्टी चतुर्थी के मुहूर्त, मंत्र, चंद्रोदय समय और पूजा विधि के बारे में.
संकष्टी चतुर्थी 2022 तिथि और मुहूर्तआषाढ़ कृष्ण चतुर्थी तिथि का प्रारंभ: आज सुबह 06:10 बजे सेआषाढ़ कृष्ण चतुर्थी तिथि का समापन: कल तड़के 02:59 बजे परसंकष्टी चतुर्थी पर इंद्र योग: आज प्रात:काल से शाम 05:18 बजे तकसर्वार्थ सिद्धि योग: आज सुबह 09:56 बजे से लेकर कल सुबह 05:03 बजे तकआज का शुभ समय: दिन में 11:30 बजे से दोपहर 12:25 बजे तक संकष्टी चतुर्थी पूजा मंत्रएकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननम्ं।विध्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहम्॥इस मंत्र का पूजा के समय उच्चारण करने से आपके संकट दूर होंगे. यह आपके जीवन से विघ्न बाधाओं को दूर करने का गणेश मंत्र है.संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा विधि1 .आज सुबह स्नान के बाद संकष्टी चतुर्थी व्रत और पूजा का संकल्प करें.2 .अब गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना पूजा स्थान पर करें.3. गणपति बप्पा को लाल पुष्प, अक्षत्, चंदन, सिंदूर, दूर्वा, पान, सुपारी, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें.4. इसके पश्चात गणेश जी को मोदक या फिर बूंदी के लड्डुओं का भोग लगाएं.5 . गणेश चालीसा, संकटनाशन गणेश स्तोत्र और संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें.6. घी के दीपक से गणेश जी की विधिपूर्वक आरती करें.7. रात में चंद्रोदय के समय चंद्र दर्शन करें और चंद्रमा की पूजा करें.8. एक लोटे में जल, दूध, शक्कर, सफेद फूल और अक्षत् डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दें.9. पूजा की समाप्ति के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें.कृष्णपिंगला संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा 2022
भगवान विष्णु के नौवें अवतार श्री कृष्ण ने पांडव राजा युधिष्ठिर को कृष्णपिंगला संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा सुनाई। यहां बताया गया है कि किंवदंती कैसे सामने आती है …महिजित नाम का एक वृद्ध राजा रहता था जिसने महिष्मती नामक राज्य पर शासन किया था। हालांकि, उन्हें बच्चा न होने का पछतावा था।यहां बताया गया है कि कथा कैसे सामने आती है।महिजीत एक परोपकारी राजा था जो अपनी प्रजा की अच्छी देखभाल करता था, विद्वान पुरुषों, ऋषियों और ऋषियों की सेवा करता था और अपराध करने वालों को दंडित करता था। उनकी प्रजा उनके नेतृत्व से प्रसन्न थी लेकिन वास्तव में एक राजकुमार की कामना करती थी।उत्तराधिकारी न होने से राजा भी उतना ही निराश था। और चूंकि उन्होंने हमेशा जरूरतमंदों की मदद करने के लिए स्वेच्छा से काम किया, इसलिए उन्होंने सोचा कि उन्हें पितृत्व से वंचित क्यों किया गया।इसलिए एक दिन लोगों ने उसकी समस्या का समाधान खोजने की पहल की। इसके बाद, वे एक जंगल में गए, जहाँ उन्हें लोमाश नाम के एक ऋषि मिले। उनकी अपील सुनने के बाद, बुद्धिमान और विद्वान ऋषि ने उन्हें अपने राजा को आषाढ़ के महीने में कृष्ण पक्ष, चतुर्थी तिथि पर एक व्रत रखने के लिए कहने के लिए कहा।इसके बाद, महिष्मती के लोगों ने महिजित को ऋषि लोमश के सुझाव के बारे में बताया। नतीजतन, राजा ने एक व्रत रखा और कुछ दिनों बाद, उनकी पत्नी सुदक्षिणा ने एक बच्चे को गर्भ धारण किया। इस प्रकार, राजा ने व्रत रखकर और भगवान गणेश की पूजा करके अपने उत्तराधिकारी का स्वागत किया।और जैसे ही श्री कृष्ण ने कहानी समाप्त की, युधिष्ठिर ने व्रत का पालन करने का फैसला किया।यह भी देखें – bajrang baan lyrics बजरंग बाण के पाठ से शत्रु, भय और रोग के छुटकारा मिलता है
जून 2022 : एकदंत संकष्टी गणेश चतुर्थी चंद्रोदय का समय हैदराबाद, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरु और अन्य शहरों में। आज के चंद्रोदय का समय इस प्रकार है:
First Published on: 17/06/2022 at 12:55 PM
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