PRIYA JHA – THE FACE OF INDIA
जैसा कि आप सब जानते है की नवरात्रि में मां दुर्गा के नवरूप होते है जिसके हर दिन के अलग अलग महत्व है नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अवतारों में से मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कुष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी तथा मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.आज नवरात्रि का दूसरा दिन (27 सितंबर) है जो की मां ब्रह्मचारिणी का दिन है
मां ब्रह्मचारिणी यह देवी पार्वती के अविवाहित रूप को मां ब्रह्मचारिणी के में रूप में पूजा जाता है . वे नंगे पैर चलती तथा ,सफेद वस्त्र पहनती है, साथ ही उनके दाहिने हाथ में एक जाप माला होती है तथा उनके बाएं हाथ में मंडल होता है.
उनके वन जीवन के दौरान भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए रुद्राक्ष उनकी तपस्या का प्रतीक है,तथा उनकी तपस्या के अंतिम वर्षों के दौरान उनके पास केवल पानी था और कुछ नहीं. यह कमंडल इस बात का प्रतीक है
लोककथन के अनुसार, देवी पार्वती का जन्म दक्ष प्रजापति के घर देवी ब्रह्मचारिणी के रूप हुआ था । यह रूप में, देवी पार्वती, सती थीं, तथा उन्होंने भगवान शिव का दिल जीतने के लिए तपस्या करने का निर्णय किया. देवी की तपस्या हजारों वर्षों तक चलती रही ।
देवी की तपस्या के फलस्वरूप ब्रह्मा जी ने देवी को आशीर्वाद दिया तथा शिव जी की पत्नी बन गई. , जब देवी के पिता ने शिव जी का अपमान किया, तो मां ब्रह्मचारिणी ने खुद का बलिदान कर दिया था। .
कथनाअनुसार है मां ब्रह्मचारिणी, भगवान मंगल अंकुश करती हैं. तथा इसके अलावा, उनके शरीर से जुड़े कमल को ज्ञान का प्रतीक कहा जाता है,उनकी सफेद साड़ी पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. माता की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य और संयम जैसे गुणों में बढ़ोतरी होती है.