किस दिन है विश्वकर्मा पूजा ? जाने क्या है इतिहास, महत्व ,चौपाई और उनकी आरती

Kajal Gupta -Mumbai

वेदों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को सभी देवी-देवताओं के लिए दिव्य वास्तुकार के रूप में जाने जाते है। हिंदू हर साल कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने के अंतिम दिन को दर्शाता  है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह दिन 16 से 18 सितंबर के बीच है। इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाएगी।

इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त 17 सितंबर को सुबह 7 बजकर 36 मिनट से रात 9 बजकर 38 मिनट तक रहेगा।
यह अवसर पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, त्रिपुरा, बिहार और झारखंड राज्यों में व्यापक रूप से मनाया जाता है। कारखाने और दुकान के मालिक इस दिन अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए पूजा करते हैं। भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति के साथ-साथ सभी औजारों और मशीनों की भी पूजा की जाती है।

विश्वकर्मा पूजा इतिहास:-
कुछ हिंदू शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को स्वयं प्रकट होने के रूप में जाने जाते है। उन्हें ब्रह्मांड में सभी भौतिक चीजों के निर्माता और रथों, महलों और देवी-देवताओं के हथियारों के दिव्य वास्तुकार के रूप में माना जाता है। इसलिए हर साल कन्या संक्रांति पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा इंजीनियरों, वास्तुकारों, शिल्पकारों और मूर्तिकारों द्वारा की जाती है।

ऐसा माना जाता है कि विश्वकर्मा जी ने रावण के लिए पुष्पक विमान और स्वर्ण लंका का निर्माण किया था, जैसा कि महाकाव्य रामायण में वर्णित है। उन्होंने महाकाव्य महाभारत के अनुसार, भगवान कृष्ण के लिए द्वारका शहर और पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ भी बनाया।

विश्वकर्मा पूजा महत्व:-
इस अवसर का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। अन्य त्योहारों के विपरीत, विश्वकर्मा पूजा केवल एक दिन के लिए मनाई जाती है। विश्वकर्मा पूजा सौर कैलेंडर के अनुसार निर्धारित की जाती है जबकि अन्य त्योहार तिथियां चंद्र कैलेंडर पर आधारित होती हैं।

विश्वकर्मा पूजा चौपाई:-

जय श्री विश्वकर्म भगवाना। जय विश्वेश्वर कृपा निधाना॥
शिल्पाचार्य परम उपकारी। भुवना-पुत्र नाम छविकारी॥
अष्टमबसु प्रभास-सुत नागर। शिल्पज्ञान जग कियउ उजागर॥
अद्‍भुत सकल सृष्टि के कर्ता। सत्य ज्ञान श्रुति जग हित धर्ता॥
अतुल तेज तुम्हतो जग माहीं। कोई विश्व मंह जानत नाही॥
विश्व सृष्टि-कर्ता विश्वेशा। अद्‍भुत वरण विराज सुवेशा॥
एकानन पंचानन राजे। द्विभुज चतुर्भुज दशभुज साजे॥
चक्र सुदर्शन धारण कीन्हे । वारि कमण्डल वर कर लीन्हे॥
शिल्पशास्त्र अरु शंख अनूपा। सोहत सूत्र माप अनुरूपा॥
धनुष बाण अरु त्रिशूल सोहे। नौवें हाथ कमल मन मोहे॥
दसवां हस्त बरद जग हेतु। अति भव सिंधु मांहि वर सेतु॥
सूरज तेज हरण तुम कियऊ। अस्त्र शस्त्र जिससे निरमयऊ॥
चक्र शक्ति अरू त्रिशूल एका। दण्ड पालकी शस्त्र अनेका॥
विष्णुहिं चक्र शूल शंकरहीं। अजहिं शक्ति दण्ड यमराजहीं॥
इंद्रहिं वज्र व वरूणहिं पाशा। तुम सबकी पूरण की आशा॥
भांति-भांति के अस्त्र रचाए। सतपथ को प्रभु सदा बचाए॥
अमृत घट के तुम निर्माता। साधु संत भक्तन सुर त्राता॥
लौह काष्ट ताम्र पाषाणा। स्वर्ण शिल्प के परम सजाना॥
विद्युत अग्नि पवन भू वारी। इनसे अद्भुत काज सवारी॥
खान-पान हित भाजन नाना। भवन विभिषत विविध विधाना॥
विविध व्सत हित यत्रं अपारा। विरचेहु तुम समस्त संसारा॥
द्रव्य सुगंधित सुमन अनेका। विविध महा औषधि सविवेका॥
शंभु विरंचि विष्णु सुरपाला। वरुण कुबेर अग्नि यमकाला॥
तुम्हरे ढिग सब मिलकर गयऊ। करि प्रमाण पुनि अस्तुति ठयऊ॥
रचेत विश्व हित त्रिविध शरीरा। तुम बिन हरै कौन भव हारी॥
मंगल-मूल भगत भय हारी। शोक रहित त्रैलोक विहारी॥
चारो युग परताप तुम्हारा। अहै प्रसिद्ध विश्व उजियारा॥
ऋद्धि सिद्धि के तुम वर दाता वर विज्ञान वेद के ज्ञाता ॥
मनु मय त्वष्टा शिल्पी तक्षा। सबकी नित करतें हैं रक्षा॥
पंच पुत्र नित जग हित धर्मा। हवै निष्काम करै निज कर्मा॥
प्रभु तुम सम कृपाल नहिं कोई। विपदा हरै जगत मंह जोई॥
जै जै जै भौवन विश्वकर्मा। करहु कृपा गुरुदेव सुधर्मा॥
इक सौ आठ जाप कर जोई। छीजै विपत्ति महासुख होई॥
पढाहि जो विश्वकर्म-चालीसा। होय सिद्ध साक्षी गौरीशा॥
विश्व विश्वकर्मा प्रभु मेरे। हो प्रसन्न हम बालक तेरे॥
मैं हूं सदा उमापति चेरा। सदा करो प्रभु मन मंह डेरा॥

भगवान विश्वकर्मा की आरती:-

हम सब उतारे आरती तुम्हारी, हे विश्वकर्मा, हे विश्वकर्मा।
युगदृयुग से हम हैं तेरे पुजारी, हे विश्वकर्मा हे विश्वकर्मा।।
मूढ़ अज्ञानी नादान हम हैं, पूजा विधि से अनजान हम हैं।
भक्ति का चाहते वरदान हम हैं, हे विश्वकर्मा हे विश्वकर्मा।। .
निर्बल हैं तुझसे बल मांगते, करुणा का प्यास से जल मांगते हैं।
श्रद्धा का प्रभु जी फल मांगते हैं, हे विश्वकर्मा हे विश्वकर्मा।।
चरणों से हमको लगाए ही रखना, छाया में अपने छुपाए ही रखना।
धर्म का योगी बनाए ही रखना, हे विश्वकर्मा हे विश्वकर्मा।।
सृष्टि में तेरा है राज बाबा, भक्तों की रखना तुम लाज बाबा।
धरना किसी का न मोहताज बाबा, हे विश्वकर्मा हे विश्वकर्मा।।
धन, वैभव, सुखदृशान्ति देना, भय, जनदृजंजाल से मुक्ति देना।
संकट से लड़ने की शक्ति देना, हे विश्वकर्मा हे विश्वकर्मा।।
तुम विश्वपालक, तुम विश्वकर्ता, तुम विश्वव्यापक, तुम कष्टहर्ता।
तुम ज्ञानदानी भण्डार भर्ता, हे विश्वकर्मा हे विश्वकर्मा।।

 

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