Updated: 17/07/2023 at 5:58 PM
Laxman Urmila जब बात रामायण की आती है तब हमारे मन में कुछ पात्रों के चित्र आते हैं । सबसे पहले राम,सीता और जब बात आती है अहंकार की तो रावण और मेघनाथ का नाम आता है। और जब बात आती है समर्पण और भाव की तब लक्ष्मण और हनुमान जी का नाम याद आता है और जब बात आती है त्याग की तो हमें सिर्फ भरत का नाम याद आता है। और जब बात आती है मैं निर्दरता की तब हमारे मन में सिर्फ कैकई का नाम आता है। परंतु इस विस्तृत महा खंड रामायण में इतने अधिक पात्र हैं इतने अधिक चरित्र हैं। इतने अधिक व्यक्तित्व हैं कि हर किसी से हमारा ध्यान नहीं जाता हम सिर्फ उन्हीं पात्रों पर अपना ध्यान केंद्रित रखते हैं जिन्हें हम टीवी में देखा है या जिनके बारे में अधिक रामायण में बताया गया है। परंतु आज हम इस अंक में ऐसे चरित्र के बारे में बात करेंगे। जिसके बारे में बहुत ही कम बात की जाती है। परंतु उनका त्याग प्रेम समर्पण कहीं भी सीता ,राम, लक्ष्मण ,भरत ,और हनुमान से कम नहीं है। हमने आज तक रामायण इस दृष्टिकोण से देखा है उसमें हमें पात्र और चरित्र बहुत ही कमी ही दिखाई देता है।
सीता ने उर्मिला को क्या वरदान दिया !
वह 14 वर्षों तक उन्हें परेशान नहीं करेगी। और उनकी पत्नी उर्मिला उनके स्थान पर सोएगी। निद्रा देवी ने उनकी बात शर्त पर मानी थी की जैसे वह अयोध्या लौटेंगे उर्मिला की नींद टूटेगी और उन्हें सोना होगा। लक्ष्मण इस बात पर हंस रहे थे कि अब उन्हें सोना होगा। और वह राम का राजतिलक नहीं देख पाएंगे और उनके स्थान पर उर्मिला ने हर रस्म देखी थी। 14 वर्ष तक कोई लगातार कैसे सो सकता है। यह सोचने वाली बात है परंतु एक औसत आदमी एक औसत मनुष्य के लिए 1 दिन में 6 से 8 घंटे सोना अत्यधिक होता है अगर उस पहलू से भी देखा जाए तो हो सकता है कि उर्मिला दोनों ही भाग्य का सोना 12 घंटे या 16 घंटे ही सोती हो बाकी समय में वह अपने गृह कार्य और अपनी माताओं की सेवा करती रही। इसी बात को काटने के लिए एक बात और हम आपको बताएंगे की उर्मिला सोती भी रही और बाकी काम कैसे करती रही एक और वाक्य ऐसा भी है जो बताता है कि लक्ष्मण की विजय का मुख्य कारण उर्मिला थी। मेघनाथ के वध के बाद उनका शव राम के खेमे में था। तब मेघनाथ की पत्नी सुलोचना उसे लेने आई पति का चिन्ह सीस देखते ही सुलोचना का ह्रदय अत्यधिक प्रभूत हो गया उसकी आंखें बरसने लगी। रोते-रोते उसने पास खड़े लक्ष्मण को देखा और बोला की सुमित्रानंदन तुम भूल कर भी गर्व मत करना कि मेघनाथ का वध मैंने किया है मेघनाथ को धाराशाही करने की शक्ति विश्व में किसी के पास नहीं थी यह तो दो पतिव्रता नारियों का भाग था। अब आप सोच में पड़ गए होंगे की निद्रा देवी की प्रभाव में आकर उर्मिला अगर 14 साल तक होती है तो सास और अन्य परिजनों की सेवा करने का जो वचन उन्होंने लक्ष्मण को दिया था वह वादा उन्होंने कैसे पूरा किया तो इसका उत्तर यह है कि सीता माता ने अपना एक वरदान उर्मिला को दिया था उस वरदान के अनुसार के उर्मिला एक साथ तीन कार्य कर सकती थी।
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उर्मिला के महान चरित्र अखंड पतिव्रता धर्म स्नेह और त्याग की गाथा !
हमने देवी सीता को जाना हनुमान के भक्ति भाव को जाना रावण के ज्ञान को जाना लेकिन कभी या ध्यान नहीं दिया। इस रामायण में अगर कोई सबसे ज्यादा उपेक्षित और अनदेखा चरित्र व्यक्तित्व है तो वह थी लक्ष्मण की पत्नी और जनक नंदिनी सीता की अनुजा उर्मिला जब राम सीता वनवास जाने लगे और बड़े आग्रह पर लक्ष्मण को भी साथ जाने की अनुमति हुई तब पत्नी उर्मिला ने भी उनके साथ जाने का प्रस्ताव रखा । परंतु लक्ष्मण ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया की अयोध्या के राज्य को और माताओं को उनकी आवश्यकता है और अगर तुम मेरे साथ चलोगी सब मेरे सेवा भाव में वह समर्पण नहीं रहेगा जो होना चाहिए। उर्मिला के उस नवयौवन कंधों पर इतना बड़ा दायित्व डालकर लक्ष्मण वन को चले गए। वह पल वह जीवन सरिता जो नववधू अपने पति के साथ गुजारती है वह उर्मिला के भाग्य में लिखी ही नहीं गई थी। पतिव्रता स्त्री के जीवन के चंचल पड़ाव पर भी अपने पति से दूर रहने पर द्वेष मात्र भी किसी और का ध्यान नहीं किया यह उर्मिला अखंड पतिव्रता धर्म था यह उर्मिला की अवर्णित या चर्चित अघोषित महानता थी। उर्मिला के महान चरित्र अखंड पतिव्रता धर्म स्नेह और त्याग की चर्चा रामायण में अपेक्षित पर्व है हो ना सका सबसे विकट क्षण में भी उर्मिला आंसू ना बहा सकी क्योंकि उनके पति लक्ष्मण ने उनसे एक ही वचन लिया था वे कभी आंसू नही बहाएंगी । क्योंकि अगर वह अपने दुख में डूबी रहेंगी तो परिजनों का ख्याल नहीं रख पायेंगी या कोई कल्पना ही कर सकता है अपने पति को 14 वर्ष के लिए अपने से दूर जाने देना और उसके विदाई पर आंसू भी ना बहाना। किसी नवविवाहिता के लिए कितना कष्टकारी हो सकता है। कितना ह्रदय विदारक पल था जब महाराज दशरथ स्वर्ग सिधार गए पर वचन का सम्मान रखने के लिए उर्मिला तब भी नहीं रोइ। पति के लिए वह अपने पिता महाराज जनक के घर भी नहीं गई ताकि मां और सखियों के सानिध्य में उर्मिला का पति वियोग कुछ दुख कम हो जाता परंतु उर्मिला ने मिथिला जाने से सादर इनकार कर दिया। यह करते हुए की पति के परिजनों के साथ रहना हर दुख में उनके साथ रहना उनका कर्तव्य है। इसके अलावा एक बात और भी कहीं जाती है।निद्रा देवी ने क्यों मानी लक्ष्मण की शर्त :
14 वर्ष तक सोती रही उर्मिला बहुत से लोग इस बार से परिचित हैं कि अपने बनवास के दौरान अपने भाई और भाभी की सेवा करने के लिए लक्ष्मण पूरे 14 साल तक नहीं सोए थे उनके स्थान पर उनकी पत्नी उर्मिला दिन और रात होती रही पर यह बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि रावण के बेटे मेघनाथ को यह वरदान प्राप्त था कि जो इंसान विवाहित होने के पश्चात भी 14 वर्षों तक ना सोया हो नाही उसने किसी स्त्री का स्पर्श किया हो। वही उसको हरा सकता है। इसलिए लक्ष्मण मेघनाथ को मोक्ष दिलाने में सफल हुए थे। रावण के अंत और 14 वर्ष के वनवास के पश्चात राम लक्ष्मण और सीता वापस अयोध्या लौट आए तब वहां राम के राजतिलक के समय लक्ष्मण जोर जोर से हंसने लगे। सभी को यह बात बहुत ही आश्चर्यजनक लगी कि लक्ष्मण किसी का मजाक उड़ा रहे हैं। जब लक्ष्मण से इस हंसी का कारण पूछा गया तब उन्होंने यह जवाब दिया कि ताउम्र उन्होंने इस घड़ी का इंतजार किया और आज जब यह घड़ी आई है तब उन्हें निद्रा देवी को दिया हुआ वचन पूरा करना होगा। जो उन्होंने वनवास काल के दौरान 14 वर्षों के लिए उन्हें दिया था। लक्ष्मण ने नहीं देखा भगवान राम का राज तिलक दरअसल निद्रा ने उन्हें कहा था किसीता ने उर्मिला को क्या वरदान दिया !
वह 14 वर्षों तक उन्हें परेशान नहीं करेगी। और उनकी पत्नी उर्मिला उनके स्थान पर सोएगी। निद्रा देवी ने उनकी बात शर्त पर मानी थी की जैसे वह अयोध्या लौटेंगे उर्मिला की नींद टूटेगी और उन्हें सोना होगा। लक्ष्मण इस बात पर हंस रहे थे कि अब उन्हें सोना होगा। और वह राम का राजतिलक नहीं देख पाएंगे और उनके स्थान पर उर्मिला ने हर रस्म देखी थी। 14 वर्ष तक कोई लगातार कैसे सो सकता है। यह सोचने वाली बात है परंतु एक औसत आदमी एक औसत मनुष्य के लिए 1 दिन में 6 से 8 घंटे सोना अत्यधिक होता है अगर उस पहलू से भी देखा जाए तो हो सकता है कि उर्मिला दोनों ही भाग्य का सोना 12 घंटे या 16 घंटे ही सोती हो बाकी समय में वह अपने गृह कार्य और अपनी माताओं की सेवा करती रही। इसी बात को काटने के लिए एक बात और हम आपको बताएंगे की उर्मिला सोती भी रही और बाकी काम कैसे करती रही एक और वाक्य ऐसा भी है जो बताता है कि लक्ष्मण की विजय का मुख्य कारण उर्मिला थी। मेघनाथ के वध के बाद उनका शव राम के खेमे में था। तब मेघनाथ की पत्नी सुलोचना उसे लेने आई पति का चिन्ह सीस देखते ही सुलोचना का ह्रदय अत्यधिक प्रभूत हो गया उसकी आंखें बरसने लगी। रोते-रोते उसने पास खड़े लक्ष्मण को देखा और बोला की सुमित्रानंदन तुम भूल कर भी गर्व मत करना कि मेघनाथ का वध मैंने किया है मेघनाथ को धाराशाही करने की शक्ति विश्व में किसी के पास नहीं थी यह तो दो पतिव्रता नारियों का भाग था। अब आप सोच में पड़ गए होंगे की निद्रा देवी की प्रभाव में आकर उर्मिला अगर 14 साल तक होती है तो सास और अन्य परिजनों की सेवा करने का जो वचन उन्होंने लक्ष्मण को दिया था वह वादा उन्होंने कैसे पूरा किया तो इसका उत्तर यह है कि सीता माता ने अपना एक वरदान उर्मिला को दिया था उस वरदान के अनुसार के उर्मिला एक साथ तीन कार्य कर सकती थी।ये भी पढ़ें :
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Annu Kapoor to portray the role of Pandit Deendayal Upadhyaya in Ranjeet Sharma’s Main Deendayal Hun
First Published on: 16/07/2023 at 3:34 PM
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