नई दिल्ली : खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के खिलाफ शस्त्र अधिनियम का हवाला देते हुए एक ताजा प्राथमिकी के साथ जिसका पंजाब पुलिस द्वारा पीछा किया जा रहा है. केंद्र इस मामले को एक आतंकी जांच के रूप में लेने के लिये आगे बढ़ रहा है. शीर्ष आतंकवाद विरोधी निकाय राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अवैध हथियार रखने के आरोप में अमृतपाल सिंह और उन के सात सहयोगियों कि जांच कर सकती है. आर्म्स एक्ट के मामले (एनआईए) अधिनियम में शामिल है नये मामले में खालिस्तानी नेता को ‘आरोपी नंबर एक’ नाम दिये गये है.इस बीच अमृतपाल सिंह के चार शीर्ष सहयोगियों को गिरफ्तार किये गये और ऊपरी असम के डिब्रूगढ़ ले जाया गया , उन पर कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत आरोप लगाए गए. जो पुलिस को देश भर में किसी भी जेल में संदिग्धों को हिरासत में लेने कि अनुमति देता है.
अधिकारियों का कहना है की ‘टॉप सीक्रेट’ कार्यवाई आम आदमी पार्टी शासित पंजाब , केंद्र और भाजपा शासित असम के बीच एक समन्वित प्रयास था. अभियुक्तों को ले जाने के लिये एक भारतीय वायु सेना के विमान का उपयोग किये गये थे. जो इस मुद्दे को दूर करने के लिये केंद्र सरकार कि बढ़ती भागीदारी का संकेत देता है जिसमें राज्य के अशांत अतीत कि दर्दनाक यादों को जगाते हुए शांति को बाधित करने कि क्षमता है.
हालांकि , भाजपा प्रतिद्वंद्वी दलों द्वारा शासित राज्यों के बीच समन्वय के बारे में चुप्पी साधे रही है. असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कल कहा था की यह सिर्फ ‘पुलिस से पुलिस’ सहयोग था. उन्होंने कहा असम में भी गिरफ्तारियां हुईं जब हम ने लोगों को सुरक्षा कारणों से बिहार कि भागलपुर जेल भेजा. शायद पंजाब पुलिस को लगता है की कैदियों को कुछ दिनों के लिए असम में रखा जाना चाहिए.
सूत्रों का कहना है की पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 2 मार्च को एक बैठक में गृह मंत्री अमित शाह के साथ अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने कि योजना पर चर्चा कि थी.अब तक पुलिस ने अमृतपाल सिंह के 112 सहयोगी को गिरफ्तार किये है जिन में से 34 को रविवार को गिरफ्तार किये गये है. उस के “वारिस पंजाब दे” ग्रुप के कई सदस्यों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. गिरफ्तार किये गये लोगो मे दलजीत सिंह कलसी भी शामिल है जो अमृतपाल सिंह के वित्त को संभालता है.