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रामायण की रचना स्वाभिमान एवं संस्कृति की रक्षा के लिए हुआ -स्वामी पागल आनंद महाराज

 बरहज, देवरिया। बरहज तहसील क्षेत्र के अंतर्गत  बरौली चौराहे पर आयोजित राम कथा के छठवें दिन पूज्यपद पागल आनंद जी महाराज ने कहा कि रामायण की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने स्वाभिमान एवं संस्कृति की सुरक्षा के लिए किया । मानस में एक भाई दूसरे भाई की स्वाभिमान की सुरक्षा कैसे किया इसका उदाहरण भाई भारत से ले सकते हैं। उन्होंने खड़ाऊ लेकर के अयोध्या का राज का संचालन 14 वर्षों तक किया और अपने तपस्वी भेष मे रहकर के पूरा समय भगवान की भक्ति में लगाया। संस्कृति और सभ्यता के लिए प्रभु राम ने वनवास लिया और जहां-जहां संस्कृति और सभ्यता का नाश करने वाले लोग थे उनको उन्होंने समाप्त किया।

यज्ञ हवन और पूजन नष्ट करने वाले लोगों को भी उन्होंने दंड दिया। उन्होंने बिना किसी भेदभाव के सबको सम्मान दिया माता शबरी गिद्धराज जाटाउ सहित कोल भीलों को भी सम्मान देकर के स्वाभिमान जगाया । भालू बंदर को भी उन्होंने सम्मान देकर स्वाभिमान जगाया ‌। इस प्रकार रामचरितमानस सम्मान स्वाभिमान और संस्कृति सभ्यता की सुरक्षा के लिए रचित किया गया। इसका प्रतिदिन पाठ करना चाहिए तथा प्रभु द्वारा किए गए कार्यों से अनुसरण लेना चाहिए। राम के चरित्र के अनुसरण करने से लोगों में वैमनस्य दूर होगा। बहुत सारी जटिल समस्याओं का भी समाधान हो जाएगा। इस अवसर पर व्यास पीठ का पूजन डॉक्टर पूजा श्रीवास्तव ने किया भागवत कथा श्रोता काफी संख्या में उपस्थित रहे।

 

Vinay Mishra