मानवता के कल्याण का मात्र एक ही रास्ता है वह है ध्यान : स्वामी चैतन्य रिक्तम

विश्व गुरु आचार्य श्री रजनीश जी ओशो संबोधि दिवस

स्वामी चैतन्य रिक्तम (तरुण शर्मा जगाधरी ) ने ओशो संबोधि दिवस पर बताया कि जबलपुर में 21 वर्ष की आयु में 21 मार्च 1953 मौलश्री वृक्ष के नीचे आचार्य श्री रजनीश जी ओशो को संबोधि की प्राप्ति हुई, ओशो बुध्तव को प्राप्त हुए. ओशो के शिष्यों में 21 मार्च का दिन बहुत उत्सव से भरा होता है संपूर्ण विश्व में ओशो के संयासी हर वर्ष 21 मार्च को नाच गाकर उत्सव मना कर मनाते हैं. ओशो के शिष्यों में 21मार्च का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है आज के दिन आचार्य रजनीश बौद्ध को प्राप्त हुए थे. आचार्य रजनीश हमेशा अपने शिष्यों को कहा करते थे जिंदगी का हर पल उत्सवमय बनाओ चाहे दुख हो, सुख हो, कोई रुकावट हो हर पल का आनंद उठाओ. हर पल को देखो दृष्टा बनो.
ओशो संबोधि दिवस के उपलक्ष में स्वामी चैतनय रिक्तम ने कहा कि हर व्यक्ति को ,बच्चे को ,जवान को, बुजुर्ग को ध्यान करना चाहिए क्योंकि ध्यान आपको सही और गलत के बारे में बताता है. ध्यान से आप जागरण की अवस्था में आते हो ,ध्यान से आप जागरूक हो जाते हो ध्यान से बीमारीये कोसों दूर पीछे कहीं रह जाती है ध्यान ही जीवन है और ध्यान जब से सृष्टि का निर्माण हुआ है इस सृष्टि को विरासत में मिला है जब-जब मानवता ध्यान से दूर हुई है इस पृथ्वी पर बीमारियों ने जन्म लिया. मानवता के कल्याण का मात्र एक ही रास्ता है वह ध्यान. अपने भीतर गहरे जाओ निरंतर अंदर की यात्रा पर चलो तभी संसारिक मोह माया से मुक्ति संभव है.

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Tarun Sharma

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