Absconding criminal declared dead from court arrested!
कोर्ट ने घोषित कर दिया मृत; अब गोशाला में साधु के भेष में मिला
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बैंक धोखाधड़ी मामले में 20 साल से फरार चल रहे घोषित अपराधी वी. चलपति राव को गिरफ्तार किया है। आरोपी करीब दो साल से भरतपुर की एक गौशाला में साधु के भेष में नाम बदलकर प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल रहा था। आरोपी की असलियत का पता उस समय लगा जब सीबीआई की टीम ‘अपना घर’ आश्रम पहुंची।
आरोपी को एक अदालत ने कुछ साल पहले मृत घोषित कर दिया था। सीबीआई ने कहा कि वी. चलपति राव ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कई बार अपनी पहचान और जगह बदली। मई 2002 में सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 50 लाख रुपये की बैंक धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था। आरोपी घटना के समय राव हैदराबाद में भारतीय स्टेट बैंक की चंदूलाल बिरादरी शाखा में कंप्यूटर ऑपरेटर के रूप में कार्यरत था। उस पर बैंक से 50 लाख रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगा था, लेकिन जैसे ही पुलिस उसे गिरफ्तार करने पहुंचती वो लापता हो गया। आरोपी 2004 से लापता था और कथित तौर पर लापता होने के सात साल बाद राव को हैदराबाद सिविल कोर्ट ने मृत घोषित करने का आदेश दिया।
‘अपना घर आश्रम’ संचालक डॉ. बीएम भारद्वाज ने बताया कि 23 जुलाई 2022 को एक व्यक्ति साधु के भेष में अपना घर आश्रम में पहुंचा था। उसने अपना नाम विधितात्मानंद तीर्थ बताने के साथ कहा कि आपके आश्रम के बारे में मैंने बहुत सुना है। आप जिस तरह से बेसहारा लोगों की सेवा कर रहे हैं कोई नहीं कर सकता। मैं इस आश्रम में रहकर बेसहारा लोगों की सेवा करना चाहता हूं। उस व्यक्ति पर भरोसा कर लिया। उसी साल नगर निगम की इकरन स्थित गौशाला को गोद लिया था। इसी व्यक्ति को उस गौशाला का प्रभारी बना दिया। यह व्यक्ति साधु के भेष में था तो सभी लोग सम्मान करते थे और करीब दो साल से यह गौशाला में प्रभारी के रूप में कार्य कर रहा था। 8 जुलाई, 2024 को अपने गुरु का स्वास्थ्य खराब होने की बात बोलकर यह व्यक्ति गौशाला से चला गया था। बीते दिनों आश्रम में सीबीआई टीम पहुंची तब इस व्यक्ति का सच पता चला।
कानून की नजरों से बचने के लिए वह साधु बन चुका था और औरंगाबाद के वेरुल गांव में एक आश्रम में रहता था। उसने स्वामी विधितात्मानंद तीर्थ के नाम से भी आधार कार्ड बनवा रखा था। दिसंबर 2021 में ठग ने आश्रम के प्रबंधकों को 70 लाख रुपये का चूना लगाया और वहां से चलता बना। लाखों रुपये बटोरने के बाद वह राजस्थान के भरतपुर में मजे से रहने लगा।
आरोपी भरतपुर से वे तिरुनेलवेली पहुंचा और इस बीच उसने करीब 10 बार अपना मोबाइल फोन नंबर बदला और समुद्र के रास्ते श्रीलंका भागने की फिराक में था। सीबीआई की टीम ने चार अगस्त को उसे तिरुनेलवेली के नरसिंगनल्लूर गांव से गिरफ्तार कर लिया। उसे एक स्थानीय अदालत में ले जाया गया, जहां उसे 16 अगस्त तक हिरासत में भेज दिया है।