रिपोर्ट उमाकांत विश्वकर्मा
बलिया जनपद के रसड़ा नगर पालिका परिषद के कस्बा और उसके अगल-बगल हर चट्टी चौराहे पर बिना लाइसेंस के मांस की दुकानें धड़ल्ले से फलफूल रही हैं। आपको बता दें कि नियम विरुद्ध तरीके से चल रहे इन अवैध दुकानों पर जिम्मेदार अफसर मेहरबान हैं। नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी व जिला प्रशासन की तरफ से अवैध दुकानों पर रोक के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जाति है यह हाल तब है जबकि प्रदेश में हिंदुत्व वाली योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इसको लेकर अधिकारियों को फरमान जारी कर दिया है। कि खुले में मीट मछली और मांस की दुकानें संचालित नहीं होंगी किसी भी धार्मिक स्थल अगल बगल 100 मीटर की दूरी पर कोई मांस की दुकान नहीं होनी चाहिए बावजूद इसके
रसड़ा कस्बा में एक दर्जन से अधिक स्थानों पर बकरा व अन्य प्रतिबंधित पशुओं को काटकर उनका मांस बेचा जा रहा है। इन्ही बाजारों में मुर्गा का मांस भी बेचा जा रहा है। पशु अधिनियम के अन्तर्गत इन पशुओं को काटने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य है। जिस स्थान पर काटना है उस स्थान पर पर्दा लगाना भी होता है। नियम यह भी है कि खुले में कोई भी इन पशुओं को नहीं काट सकता है, लेकिन दुकानदारों द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया जाता है। बकरों को बिना मेडिकल परीक्षण के काटने व बेचने वालों को किसी भी विभाग का खौफ नहीं है।
वहीं भारी मात्रा में गुमटियों में बेचा जा रहा है मटन और चिकन।
शहर के हिता का पूरा चौक प्यारे लाल चौराहा के आसपास मुख्य सड़क पर गुमटियां रखकर मांस बेचा जा रहा है। पशु वध से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ जैसे खून चमड़ी इत्यादि दुकानदार सड़क किनारे फेंक देते हैं। इससे आती दुर्गंध से स्थानीय लोगों का जीना दूभर हो रहा है।
आपको बता देगी मीट मछली इत्यादि मांस बेचने के लिए उसका एक अलग से मार्केट बनाया गया है और मार्केट से बाहर मांस बेचना अवैध है।
बावजूद इसके मीट मार्केट के अलावा मांस की बिक्री पूर्णत: प्रतिबंधित है। शहर मल्लाह टोली में मीट मार्केट स्थापित किया गया है। लेकिन इनकी आड़ में दुकानदार सड़क किनारे कहीं पर भी अपनी दुकान सजा लेते हैं।
मांस ना खाने वाले लोग किसे सुनाएं पीड़ा।
आपको बता दें कि मुख्य मार्ग के किनारे मांस की बिक्री हो रही है। खुले में बेचे जा रहे मांस से आने-जाने वालों की आस्था आहत हो रही है। सुबह शाम लोग मंदिर पूजा करने जाते हैं लेकिन रास्ते में खुले में मीट बेच रहे दुकानदारों की इन हरकत से उन लोगों को काफी दिक्कत होती है लेकिन जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साधे बैठे हैं और अवैध मांस दुकानदार धड़ल्ले से अपना कारोबार बढ़ा रहे हैं।
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