बिहार में दरभंगा ग्रामीण की एसपी काम्या मिश्रा ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने निजी कारणों से इस्तीफ़ा दिया है और पुलिस मुख्यालय को भेज दिया है। काम्या ने बताया कि यह फैसला आसान नहीं था।
बिहार की लेडी सिंघम” काम्या मिश्रा का इस्तीफा
काम्या मिश्रा ने निजी और पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे ने हर किसी को हैरान कर दिया है, क्योंकि उन्होंने अपने नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण केसों को सुलझाया था, जिसमें वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी के पिता जीतन सहनी हत्याकांड का खुलासा भी शामिल है।
लेडी सिंघम’ का सफर
काम्या मिश्रा, जिन्हें ‘लेडी सिंघम’ के नाम से भी जाना जाता है,। उन्होंने पहले ही अटेम्प्ट में यूपीएससी का एग्जाम क्लियर कर 172वीं रैंक हासिल की थी। उनकी इस सफलता ने उन्हें इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) में जगह दिलाई। अभी वह दरभंगा की ग्रामीण एसपी थी ।
काम्या मिश्रा ने महज 22 साल की उम्र में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली थी और 2019 बैच की आईपीएस अफसर बनी थीं। पहली पोस्टिंग हिमाचल कैडर में मिली थी, लेकिन बाद में उन्होंने खुद को बिहार कैडर में ट्रांसफर करवा लिया। काम्या बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं। 12वीं में उन्हें 98 प्रतिशत अंक मिले थे।
आईएएस अवधेश सरोज से 2021 में हुई शादी
काम्या मिश्रा के पति अवधेश सरोज भी आईपीएस अधिकारी हैं। अवधेश सरोज भी 2019 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और बिहार कैडर में ही तैनात हैं। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से बी.टेक. किया है। काम्या और अवधेश की शादी 2021 में हुई थी।
परिवार की अहमियत
काम्या मिश्रा ने अपने इस्तीफे के पीछे निजी और पारिवारिक कारणों को जिम्मेदार बताया है। उनके पति अवधेश सरोज भी आईपीएस अधिकारी हैं और वर्तमान में मुजफ्फरपुर में सिटी एसपी के पद पर तैनात हैं। अवधेश सरोज दीक्षित ने आईआईटी बॉम्बे से बीटेक किया है। इन दोनों ने उदयपुर में शादी की थी।
काम्या की उपलब्धियां
महज 22 साल की उम्र में यूपीएससी क्रैक करने वाली काम्या मिश्रा ने अपने कैरियर में कई महत्वपूर्ण केसों को सुलझाया। उनका पुलिस सेवा में योगदान और उनकी कड़ी मेहनत हमेशा याद रखी जाएगी।
सच्ची प्रेरणा
काम्या मिश्रा का जीवन संघर्ष और सफलता की कहानी है। 12वीं की परीक्षा में 98 फीसदी अंक लाकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल करना और फिर पहले ही प्रयास में आईपीएस बनना, यह उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।