Updated: 19/11/2023 at 8:40 PM
शहनेयाज़ अहमद
मड़ियाहूं, जौनपुर।स्थानीय नगर के चुटका देवी मंदिर पर आस्था का महापर्व डाला छठ मे व्रती महिलाओं ने रविवार की शाम को डूबते हुए सूर्य को पहला अर्घ दिया। रविवार की सुबह ही द्वितीय महिलाएं अपने-अपने घरों में पूजन अर्चन की तैयारी शुरू कर दी थी। शाम लगभग 3:00 बजते ही नगर की महिलाएं घर से जलाशय में आकर घाट के किनारे बैठकर पूजन अर्चन की और दिन डूबते ही भगवान सूर्य का पहला अर्घ लिया। महिलाओं ने पूजन अर्चन किया। व्रती महिलाये डूबते हुए सूर्य को अर्घ देकर एक संदेश देती है कि हमें डूबते हुए सूर्य का कभी भी तिरस्कार नहीं करना चाहिए। बताया जाता है की छठ पूजा का महत्व बहुत ज्यादा है। यह व्रत सूर्य भगवान, उषा, प्रकृति, जल, वायु आदि को समर्पित है। इस त्यौहार को मुख्यत: बिहार में मनाया जाता है।लेकिन अब पुरे भारत मे इस व्रत को मनाया जाता है।इस व्रत को करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त होता है। कहा जाता है कि यह व्रत संतान की रक्षा और उनके जीवन की खुशहाली के लिए किया जाता है। इस व्रत का फल सैकड़ों यज्ञों के फल की प्राप्ति से भी ज्यादा होता है। सिर्फ संतान ही नहीं बल्कि परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।
मड़ियाहूं, जौनपुर।स्थानीय नगर के चुटका देवी मंदिर पर आस्था का महापर्व डाला छठ मे व्रती महिलाओं ने रविवार की शाम को डूबते हुए सूर्य को पहला अर्घ दिया। रविवार की सुबह ही द्वितीय महिलाएं अपने-अपने घरों में पूजन अर्चन की तैयारी शुरू कर दी थी। शाम लगभग 3:00 बजते ही नगर की महिलाएं घर से जलाशय में आकर घाट के किनारे बैठकर पूजन अर्चन की और दिन डूबते ही भगवान सूर्य का पहला अर्घ लिया। महिलाओं ने पूजन अर्चन किया। व्रती महिलाये डूबते हुए सूर्य को अर्घ देकर एक संदेश देती है कि हमें डूबते हुए सूर्य का कभी भी तिरस्कार नहीं करना चाहिए। बताया जाता है की छठ पूजा का महत्व बहुत ज्यादा है। यह व्रत सूर्य भगवान, उषा, प्रकृति, जल, वायु आदि को समर्पित है। इस त्यौहार को मुख्यत: बिहार में मनाया जाता है।लेकिन अब पुरे भारत मे इस व्रत को मनाया जाता है।इस व्रत को करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त होता है। कहा जाता है कि यह व्रत संतान की रक्षा और उनके जीवन की खुशहाली के लिए किया जाता है। इस व्रत का फल सैकड़ों यज्ञों के फल की प्राप्ति से भी ज्यादा होता है। सिर्फ संतान ही नहीं बल्कि परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।
First Published on: 19/11/2023 at 8:20 PM
विषय
कमेंट करे
Subscribe
Login
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments