छत्तीसगढ़। “तीजा तिहार” भादो माह के शुक्ल पक्ष की, तृतीया तिथि को मनाई जाती है। तृतीया होने के कारण इसको तीजा कहते हैं। “पोरा तिहार” के तीसरे दिन, मनाने के कारण, भी इसे तीजा कहा जाता है। तीजा के दिन, महादेव और माता गौरा की, निर्जला व्रत के साथ पूजा करने का विधान है।
जन्माष्टमी मनाने के बाद से ही, छत्तीसगढ़ में हर जाति और हर उम्र की विवाहित स्त्रियो को, उनके मायके से पिता, भाई या भतीजे लेने आते हैं। बहुत खुशी- खुशी वह उनके साथ मायके आती है। हर स्त्री अपने मायके आती है। इसे बेटी माई के तिहार के रूप में जाना जाता है। मेरी नानी, दादी कहती थी-“मैंने अपने भाईयो से जमीन जायदाद का बंटवारा नहीं लिया, उसके बदले मुझे “तीजा” में पूछ ले मेरे लिए यही बहुत है।” इससे यह प्रतीत होता है कि, छत्तीसगढ़ में तीजा का महत्व जमीन जायदाद से भी बढ़कर है, तीजा मात्र एक पर्व ही नही, अपितु मातृशक्तियों के लिए मान और सम्मान से भी बढ़कर है। तीजा तिहार, तीन दिन का होता है, प्रथम दिन ‘करूभात’, दूसरे दिन उपवास और तीसरे दिन फरहार(व्रत को तोड़ा जाता है)।
हमारी आदिसंस्कृति से परिपूर्ण हमारे बस्तर में, तीजा को, “तीजा जगार” के रूप में मनाते है। जहाँ महादेव और बालीगौरा (गंगा माता) के मिट्टी प्रतिमा का पूजन किया है। तथा महादेव व बालीगौरा की कथा, गुरुमाएं (पुजारिन महिलाये) द्वारा धनकुल वाद्ययंत्र (ऐसा यंत्र जिसमे मटके के ऊपर, सूपा व सूपा के ऊपर तीर रख, बांस की झिरनी काडी (लकड़ी) से बजा कर गाया जाता है। बस्तर के साहित्यकार हरिहर वैष्णव जी ने “तीजा जगार”को बहुत सुंदर ढंग से लिखा है। इस कथा में महादेव व बाली गौरा का विवाह (गंगा माता), महादेव द्वारा बाली गौरा को अपनी जटा में धारण करना, माता पार्वती द्वारा बाली गौरा का परीक्षा लेना, व माता पार्वती द्वारा बाली गौरा को प्रेम भाव से स्वीकार करना। ये सभी कथा में सुनाने को मिलता है जो रात भर चलता है। मैंने अपने मटपरई कला में माता गौरा व महादेव के नदी स्नान के दौरान, माता गौरा व टेंगना मछली के बीच सवांद को दिखाया है। जिसे आप नीचे देख सकते है। आइये जानते है, तीजा को क्रमबद्ध तरीके से:-
प्रथम दिन करुभात:-करूभात के दिन करेले का विशेष महत्व होता है, जो माताएं विशेषकर बनाती है तीजा उपवास के, एक दिन पहले माताएं एक दूसरे के घर जाकर, दाल- भात और अन्य चीजों क साथ, करेला की सब्जी जरूर खाती है, जिसे करू भात कहा जाता है। ये व्रती महिलाओं को कम से कम तीन घर खाना होता है।
करेला कड़वा होते हुए भी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है। करेले की तासीर ठंडी होती है, जो उपवास के दौरान शरीर मे पित्त बढने नही देता, साथ ही करेला खाने से प्यास कम लगता है, जो उपवास के लिए मददगार होता है।करेला, जीवन में कड़वी सच्चाई का प्रतीक है, जिसको जान कर व सुधार कर, हम अपने जीवन की नैया चला सकते हैं।
इस दिन स्त्रियाँ सुबह सुबह नदी व तालाबों में जाकर “मुक्कास्नान” करती हैं।(अर्थात स्नान और पूजन तक किसी से बात नही करती ।
नीम, महुआ, सरफोंक, चिड़चिड़ा, लटकना, आदि का दातुन करती हैं। साबुन की जगह तिली, महुआ की खल्ली, डोरी खरी (तिली, व महुवा का तेल निकल जाने के बाद बचे अवशेष खल्ली कहलाता है।) खल्ली, हल्दी तथा आंवले की पत्तियों को पीसकर उबटन बनाकर प्रयोग किया जाता है। जो शरीर को कोमल व चमकदार बनाती है।काली मिट्टी से बाल धोती है। स्नान करने के पश्चात, नदी की बालू मिट्टी या तालाब के पास कुँवारी मिट्टी (ऐसी मिट्टी जिस पर फसल नही उगाया हो) को खोदकर टोकरी में लाती है इस कुँवारी मिट्टी से भगवान महादेव व माता गौरा की प्रतिमा का निर्माण कर, फुलेरा में रखती है, फुलेरा अर्थात फूलो से, भगवान का मंदिरनुमा मंडप बनाया जाता है,जिसे छत्तीसगढ़ी में फुलेरा कहाँ जाता है। भगवान का पूजन विभिन्न प्रकार के व्यंजनों, जैसे ठेठरी, खुरमी, कतरा, पूड़ी का भोग व फुल, दीप, धूप से कर माता गौरी को श्रृंगार भेंट करती हैं। भजन पूजन द्वारा रात्रि जागरण कर अपने पति की लंबी आयु की कामना कर पूरे दिन और रात निर्जला (बिना जल के) उपवास रखती है।
तीसरे दिन स्त्रियां,सुबह उठ कर स्नान कर, भाईयो, माता-पिता द्वारा उपहार स्वरूप साड़ी, सिंगार का जो समान दिया जाता है, वही पहन कर भगवान महादेव व माता गौरा की मिट्टी की प्रतिमा का पूजन करती है। जिसके बाद विसर्जन करने नदी व तालाबो में जाती है। विसर्जन करने के उपरांत सर्वप्रथम सूजी या सिंघाड़े या तीखुर का कतरा,कुछ ऋतुफल खाकर, पानी पीकर अपना व्रत तोड़ती है ,सभी बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेती है, अपने निमंत्रित परिवारजनो में तीजा का, फलहार करने जाती है,जिसमे पकवान और भोजन शामिल होता है। परिवारजन उन्हें आशीर्वाद के साथ यथाशक्ति उपहार में श्रृंगार, साड़ी का उपहार या पैसे देते हैं। ऐसी है हमारी छत्तीसगढ़ की संस्कृति व सभ्यता। मैंने तीजा तिहार का चित्रण किया है, नीचे आप देख सकते है।धन्यवाद