मनासा। जैन धर्म के 20 तीर्थकरों और अनंत संतों की मोक्षस्थल श्री सम्मेद शिखर जी ‘पारसनाथ पर्वतराज’, गिरिडिह (झारखंड) की स्वतंत्र पहचान, पवित्रता और संरक्षण हेतु ‘सम्मेद शिखरजी बचाओ आन्दोलन’ के समर्थन में निम्न मांगो को लेकर मनासा के श्री सकल जैन समाज द्वारा 13 दिसम्बर मंगलवार को 12 बजे करीब अन्नपूर्णा मंदिर पर एकत्रित होकर रैली निकालते हुए एसडीएम कार्यालय पंहुच तहसीलदार मनोहरलाल वर्मा को ज्ञापन सौपा गया। जिनकी मुख्य मांगे इस प्रकार है, (1) ‘पारसनाथ पर्वतराज’ को वन्य जीव अभ्यारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिए घोषित इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत जोनल मास्टर प्लान व पर्यटन मास्टर प्लान, पर्यटन/ धार्मिक पर्यटन सूची से बाहर किया जाए। (2) पारसनाथ पर्वतराज को बिना जैन समाज की सहमति के इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत वन्य जीव अभ्यारण्य का एक भाग और तीर्थ माना जाता है, लिखकर तीर्थराज की स्वतंत्र पहचान व पवित्रता नष्ट करने वाली झारखण्ड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना क्र. 2795 (ई) दिनांक 2 अगस्त 2019 को अविलंब रद्द किया जाए (3) पारसनाथ पर्वतराज और मधुबन को माँस मदिरा बिक्री मुक्त पवित्र जैन तीर्थस्थल घोषित किया जाए। (4) पर्वतराज की वन्दना मार्ग को अतिक्रमण, वाहन संचालन व अमक्ष्य सामग्री बिक्री मुक्त कर यात्री पंजीकरण, सामान जांच हेतु CRPF व स्कैनर, CCTV कैमरे सहित दो चेक पोस्ट चिकित्सा सुविधा सहित बनाये जाएं। (5) पर्वतराज से पेड़ों का अवैध कटान पत्थरों का अवैध खनन और महुआ के लिए आग लगाना प्रतिबंधित हो। आशा है की आप संज्ञान लेकर तुरंत कार्यवाही करने के आदेश जारी कर अल्पसंख्यक जैन समाज के साथ न्याय करेंगे। कृपया ज्ञापन की कापी माननीय राष्ट्रपति महोदय, माननीय प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश को प्रेषित करें ज्ञापन कुछ इस प्रकार मनासा अनुविभागीय अधिकारी को दिया गया।
श्री सकल जैन सामाज के लोगो ने अपनी मांगों को लेकर अनुविभागीय अधिकारी को सौंपा ज्ञापन
