बरहज ,देवरिया। ग्राम सभा पड़री गुराव में सात दिवसीय प्रतिष्ठात्मक मारुति नंदन यज्ञ एवं कथा का समापन के अवसर पर श्री राम कथा व्यास कृष्ण शंकर त्रिपाठी द्वारा श्री सीताराम विवाह पर चर्चा करते हुए कहा कि जो भगवान शिव का पिनाक बड़े-बड़े राजाओं महाराजाओं से तिल भर हिला तक नहीं वैसे धनुष को प्रभु श्री राम ने गुरु विश्वामित्र के आदेश से पलक झपकते ही उठाकर के दो खंड में विभक्त कर दिया ।गोस्वामी जी ने कहा की लेत चढ़ावत खैचत गाढे काहु न लखा देख सब ठाढे।। विवाह प्रकरण पर आगे चर्चा करते हुए कहा कि धनुष न टूटने के कई कारण थे ।पहले तो मां पृथ्वी से अवतरित सीता के योग्य अब तक कोई बर नहीं आया इसलिए मां पृथ्वी धनुष को जकड़े हुए थी । दूसरा धनुष उठाने से पहले प्रभु श्री राम ने अपने गुरुदेव को प्रणाम किया भगवान शिव को प्रणाम किया जिनका पिनाक था ।
आदि देवता गणेश को भी प्रणाम कर धनुष को लक्ष्य कर अपने लक्ष्य को साधा। इस सब के पीछे प्रभु श्री राम की विनम्रता मूल में रही। विनम्रता से किया गया कार्य कभी असफल नहीं होता। हम सभी को इससे सीख लेनी चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि महाराज जनक का विचार उत्तम विचार था जनक जी जान चुके थे की सीता सामान्य नहीं सीता शक्ति है इसलिए शक्ति को शक्ति धर के हाथ में सौंप देना चाहिए। इसीलिए जनक जी ने यह प्रतिज्ञा की कि जो भगवान शिव के धनुष को तोड़ेगा उसी के साथ मैं अपनी लाडली बेटी सीता का विवाह करूंगा। जनक जी ने ठीक वैसा ही किया। शिव धनुष भंग के बाद कुल रीति के अनुसार दोनों पक्ष के ब्राह्मणों द्वारा वेद मंत्रों के बीच विधि विधान से श्री सीताराम का विवाह संपन्न हुआ। श्री सीताराम के विवाह की अनुपम झांकी आप सभी श्रोताओं के हृदय में निरंतर निवास करती रहे, यही मंगल कामना है। यज्ञ और कथा समापन के अवसर पर भव्य भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें श्रद्धालु जनों ने प्रसाद ग्रहण किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से प्रदीप नारायण राव, पीके राव, विश्व हिंदू परिषद के युवा नेता प्रमोद मिश्र, बाबा इंद्रमणि इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य माधव प्रसाद सिंह, विजय तिवारी, विनय तिवारी, विनय राव, सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु भक्तजन उपस्थित रहे।