MBVV Police | ▪️श्रवण शर्मा / मिरा-भाईंदर
नई आधुनिक तकनीक ने लोगों को मोबाइल फोन के रूप में जादू का पिटारा दे दिया है। न्यूज पेपर, केबल, बिजली बिल, घरपट्टी इत्यादि के बिल अब लोग चुटकियों में भर देते हैं। पानपट्टी वाले से लेकर बडे बिजनेसमैन तक अब ऑन लाईन ट्रांजेक्शन कर रहे हैं। ऐसे में साइबर क्राइम करनेवाले लोगों की संख्या में भी बढोतरी देखने को मिल रही है। ऐसे साइबर अपराध करने वाले उच्च शिक्षित होते हैं और उनका एक संगठित गिरोह होता है, जो अपने “कॉल सेंटर” के माध्यम से लोगों को लुभावने ऑफर देते हैं और सामने वाले को बातों में उलझा कर, उसका बैंक खाता ही खाली कर देते हैं। अगर एक बार रकम किसी के खाते से निकल कर साइबर अपराधियों के खाते में चली जाती है, तो फिर उसे वापस हासिल करना असंभव होता है। परंतु इस असंभव से दिखाई देने वाले दो मामलों को मिरा-भाईंदर, वसई विरार पुलिस आयुक्तालय के आयुक्त डॉ. सदानंद दाते के अधिनस्थ साइबर सेल के इंचार्ज, पुलिस निरीक्षक “सुजीत कुमार गुंजकर” व उनकी टीम ने हाल-फिलहाल में ही संभव कर दिखाया है। उन्हें ‘सचिन राय’ नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी कि, उसे आए एक फोन पर ‘रिवार्ड प्वाइंट’ देने की बात करते हुए, मोबाइल पर भेजे गए लिंक को क्लिक करने के लिए कहा गया था। उसने जैसे ही उस लिंक पर क्लिक किया, वैसे ही फोन कट गया और उसे मैसेज मिला कि, उसके अकाउंट से 70 हजार 817 रुपये निकल चुके हैं।
साइबर सेल के पुलिस इंस्पेक्टर सुजीतकुमार गुंजकर के पास आई एक अन्य शिकायत के अनुसार 22 लोगों को ‘ऑन लाईन’ झांसा देकर उनकी रकम लूट ली गई थी।
क्राइम विभाग प्रमुख पुलिस उपायुक्त डॉ. ‘महेश पाटिल’ तथा सहायक पुलिस आयुक्त ‘अमोल मांडवे’ के मार्गदर्शन में “साइबर सेल” के पुलिस इंस्पेक्टर सुजीत कुमार गुंजकर ने उपरोक्त दोनों मामलों की गहराई से तफ्तीश की तथा अंततः 22 लोगों के 10 लाख तथा ‘सचिन राय’ के 70 हजार 817 रूपये उनके खाते में वापस आये! इस सफल अभियान में सहायक पुलिस निरीक्षक स्वप्निल वाव्हल, पुलिस उपनिरीक्षक प्रसाद शेनोलकर सहित प्रवीण आव्हाड, गणेश इलग, सुवर्णा माली, माधुरी धिंडे, पल्लवी निकम इत्यादि पुलिसकर्मियों ने अहम भूमिका निभाई।
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