विपत्ति में ईश्वर के सिवाय कोई नहीं आता है काम

Updated: 18/03/2024 at 6:06 PM
No one can help in times of trouble except God

बरहज ,देवरिया। बरहज तहसील क्षेत्र के अंतर्गत नौका टोला बेलडांड़ में चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दुसरे दिन श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास डाक्टर श्रीप्रकाश मिश्र ने कही । उन्होंने कहा कि विपत्ति ही मनुष्य की सच्ची सम्पत्ति है । विपत्ति में ही अपने पराये का ज्ञान होता है। विपत्ति में ही प्रभु की याद आती है और प्रभु ही मनुष्य की सहायता करते हैं । जब जब पांडवों के उपर विपत्ति आई भगवान श्रीकृष्ण को ही याद किया भगवान उनके दुःखों को काटते रहे । जब महाभारत का युद्ध हो रहा था तब भगवान श्रीकृष्ण पांडवों का पक्ष लेकर अर्जुन के रथ का संचालन करके सारे कौरवादि का विनाश करवा दिये । मात्र दुर्योधन जिंदा रह गया था उसकी जांघ टूट चुकी थी । युद्धभूमि श्मशान भूमि में बदल चुकी थी खून की नदियां बह रही थीं। दुर्योधन के जिंदे सरीर को मांसलोलूप जीव नोंचकर खा जाना चाहते हैं ओ अपनी गदा घुमा घुमाकर अपने शरीर की रक्षा करने का प्रयत्न कर रहा था । उसी विषम अवस्था में उसका परम मित्र द्रोणाचार्य पुत्र अश्वत्थामा ने आकर प़तिज्ञां किया कि आज रात में पांडव सो जायेंगे तब उनका सर काटकर लाऊंगा ।
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दुर्योधन प़सन्न हो गया चलो मरते मरते पांडवों का सर तो देख लूं । रात्रि में भगवान पांडवों को जगाकर अपने साथ लेते गये लेकिन द्रोपदी के पांच पुत्र भगवान के कहने पर भी नहीं गये और अपने बिस्तर से पांडवों के बिस्तर पर सो गये । मध्य रात्रि में अश्वत्थामा शिविर का पर्दा फाड़कर शिविर में प्रवेश कर सोये हुये द्रोपदी के पांचों पुत्रों का सिर काटकर दुर्योधन के पास लाकर कहता है मैं पांडवों का लाया हूं दुर्योधन अतिप़सन्न हो गया और कहा लाओ मैं पांडवों का सर तोड़ूंगा । एक एक कर सर तोड़ता रहा जब भीम का सर जानकर तोड़ा तो टूट गया तब दुर्योधन छाती पीट पीट रोने लगा और कहनें लगा यह पांडवों का सर नहीं हो सकता तूनें अनर्थ कर दिया मेरे भतीजों को मार दिया जो मुझे भी जल देते यह कहकर उसका प्राणांत हो गया । जब पांडवों को पता चला कि अश्वत्थामा ने बच्चों को मार दिया अर्जुन रथ पर सवार हो गये और संचालन केशव ने किया अश्वत्थामा को पकड़ कर सभा में लाकर उसके केश मुड़ाकर मस्तक में से मणी निकालकर भरे समाज से बहिष्कार कर दिया इस अवसर पर यजमान श्रीमती मुन्नी देवी शासकीय अधिवक्ता राजेश मिश्र उमाशंकर सिंह धोनी जी विजेंद्र सिंह विनोद तिवारी विनोद शुक्ल संतोष आदि श्रोताओं ने कथा का रसपान किये ।

 

First Published on: 18/03/2024 at 6:06 PM
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