बरहज, देवरिया। मां सरयू सत्संग समिति द्वारा चल रहे श्री राम कथा के विश्राम दिवस के पर भागवत कथा करते हुए पंडित विनय मिश्रा ने कहा कि मानस के अंदर चार पक्षियों की चर्चा है। प्रथम पक्षी काग भूसूडी जी महाराज, गरुड़ ,जटायू, एवं जयंत की चर्चा मानस के अंतर्गत है ।काग भूसूडी, गरुड़ ,एवं जटायु , भगवान के प्रति समर्पित रहे हैं। लेकिन जब आप जयंत की चर्चा करेंगे ।तो जयंत में जीवन में सबसे बड़ी भूल उसने माता सीता के चरण में चोच से प्रहार कर के किया ।जिसका परिणाम क्या हुआ कि संसार में उसके प्राणों की रक्षा कोई नहीं कर सका सीता के चरण में चोच करने के बाद सबसे पहले अपने प्राणों की रक्षा के लिए अपने माता-पिता के शरण में गया लेकिन माता-पिता ने जयंत को ठुकरा दिया गोस्वामी जी कहते हैं मातु मृत्यु पितु अनल समाना। जयंत वहां से भाग कर ब्रह्मा एवं भगवान शिव के पास पहुंचा और अपने प्राणों की रक्षा की याचना करने लगा । भगवान शिव और ब्रह्मा ने जयंत को डाट कर भगा दिया ।धावा ब्रह्म धाम शिव पुर सब लोका, फिरा भ्रमित भय व्याकुल शोका।।
कहू न बैठन कहां न कहीं,
राखी को सकही राम कर द्रोही।। जयंत के अपराध को क्षमा दो कर सकते हैं। पहला संत और दूसरा भगवान। भागते हुए जयंत को देखकर संत नारद के हृदय में दया उत्पन्न हुई।
नारद देखा विकल जयंता ।
लागि दया कोमल चित संता।
उन्होंने पूछा जयंत इस तरह क्यों भाग रहे हो जयंत ने नारद से अपने अपराध की बात बताई। नारद जैसे संत ने कहा कि जयंत जहां से अपराध करके चले हो उन्हीं की शरण में जाओ वही तुम्हारे प्राणों की रक्षा कर सकते हैं।
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