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पाप नाशनी मां गंगा की अविरल धारा में लोगों ने लगाई आस्था की डुबकी

भागलपुर/ देवरिया। देवरिया जिले के भागलपुर ग्राम में सरयू नदी के तट पर कालीचरण घाट से लेकर जमुनिया घाट तक गंगा दशहरा पर  लोगों ने पाप नाशनी मां गंगा की अविरल धारा में लगाई डुबकी।
आपको बता दे की मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरा  के दिन ही गंगा जी का पृथ्वी पर आगमन हुआ। त्रेता युग में आज से 16432 ईसा पूर्व ज्येष्ठ मास में भागीरथी जी द्वारा कठोर तपस्या के बाद पृथ्वी पर मां गंगा की पहली धारा पड़ी।
अन्य मान्यताओं के अनुसार राजा सगर ने स्वर्ग विजय के लिए अश्वमेध यज्ञ किया। राजा ने अश्वमेध यज्ञ में अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा छोड़ा और उसकी देखरेख में अपने 60000 पुत्रों को लगा दिया। जिसमें अश्वमेध घोड़े को इंद्र ने चुरा कर कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। राजा सागर के 6000 पुत्र घोड़े के खोजते हुए, कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे।

उन्होंने कपिल मुनि पर आरोप लगाया कि आपने मेरा घोड़ा चुराया है। इससे क्रोधित होकर कपिल मुनि ने उन्हें वहीं भस्म कर दिया। जिनकी आत्मा अतृप्त इधर-उधर युगों तक भटकती रही। इन्हीं के वंशज राजा दिलीप के दूसरी पत्नी के पुत्र भागीरथ जी अपने पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त के लिए कठोर तपस्या किया। विष्णु जी, ब्रह्मा जी की कृपा से गंगा जी का पृथ्वी पर आगमन हुआ। उनके वेग को रोकने के लिए भगवान शिव ने अपनी जटाओं में धारण कर लिया। मां गंगा की अविरल धारा पृथ्वी पर वह चली और उन आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति हुई। कहते हैं कि मां गंगा में स्नान करने से दस पाप पुण्य मे बदल जाते है। इसीलिए इन्हें पाप नाशनी गंगा कहा जाता है। आज के दिन इस भागलपुर की पावन भूमि पर आसपास के गांव की महिलाएं रास्ते भर से ही मंगल गीत गाते हुए सरयू तट पर आती हैं। स्नान, ध्यान, पूजा, अर्चना करते हैं।लोगों का सुबह से लेकर दिन के 11:00 बजे तक आना-जाना लगा रहता है। मां गंगा से अपनी अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु निवेदन किया।

Pradeep Kumar Maurya

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Pradeep Kumar Maurya