उदयपुर। प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा पाँच दिवसीय कृषक प्रशिक्षण “समन्वित कृषि प्रणाली” विषय पर दिनांक 29 नवम्बर से 3 दिसम्बर, 2021 तक आयोजित किया गया। उक्त प्रशिक्षण कृषि विभाग आत्मा.. बांसवाड़ा द्वारा प्रायोजित था जिसमें बांसवाड़ा जिले के विभिन्न गाँवों से 25 कृषकों ने भाग लिया।
इस पाँच दिवसीय प्रशिक्षण में विश्वविद्यालय के विभिन्न वैज्ञानिकों द्वारा कृषि विषयों पर तकनीकी जानकारी दी गयी, प्रशिक्षण में प्रसार शिक्षा निदेशालय के मृदा वैज्ञानिक डॉ. रतनलाल सोलंकी ने पौधों के आवश्यक पोषक तत्व की जानकारी, इनकी कमी के लक्षण एवं पूर्ति के उपाये बताये। प्रशिक्षण में डॉ. लतिका व्यास ने एवं प्रायोगिक तौर पर प्रशिक्षणार्थियों को सब्जियों एवं फलों के मूल्य संवर्धन हेतु अचार, मुरब्बा, चटनी, सर्वत इत्यादि बनाना सिखाया गया। साथ प्रशिक्षणार्थियों को विश्वविद्यालय की विभिन्न संजीव इकाईयों जैसे – जैविक इकाई, पॉली हाऊस, मुर्गीपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन आदि इकाईयों पर भ्रमण कराया गया तथा तकनीकी जानकारी प्रदान की गयी। डॉ. राजीव चैराठी ने प्रशिक्षणार्थियों को कृषि संग्रहालय का भ्रमण कराकर तकनीकी जानकारी दी। प्रशिक्षण के समापन समारोह में डॉ. आर.ए. कौशिक, निदेशक प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर ने अपने उद्बोधन में प्रशिक्षणार्थियों को समन्वित कृषि प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि समन्वित कृषि के साथ- साथ फल एवं सब्जियों का उत्पादन कर इनका विभिन्न मूल्य संवर्धन कर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते है। उक्त प्रशिक्षण के समापन के दौरान प्रशिक्षणार्थियों से प्रशनोत्तरी की गयी जिसमें प्रथम, द्वितीय व तृतीय को पुरस्कार एवं सभी प्रतिभागियों को सांत्वना पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र वितरण कर प्रोत्साहन दिया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लतिका व्यास, प्रोफेसर ने किया तथा धन्यवाद डॉ. रतनलाल सोलंकी, मृदा वैज्ञानिक, प्रसार शिक्षा निदेशालय ने किया।
रिपोर्ट- रामसिंह मीणा बड़ी सादड़ी
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