बन्शीलाल धाकड़ राजपुरा
धरती पर कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले उर्वरकों व रसायनों को बिना मापदण्ड के इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे मानव जाति के साथ साथ पशु पक्षियों व पर्यायवरण पर गम्भीर खतरा मंडरा रहा है।जिसके इस्तेमाल का ठीकरा सिर्फ अनपढ़ किसानों पर फोड़ दिया जाता है। कृषि सलाहकारों व उत्पाद कम्पनियों का दायित्व तय होना चाहिए, की उचित मात्रा ही उपयोग में ली जाए। भोले भाले किसानों को बिना वैज्ञानिक सलाह के कोई भी उत्पाद नही बेचे जाए।
किसान आर्थिक रूप से कमजोर भी नही होंगे, व धरती माता में जहर की मात्रा भी कम होगी। कहावत है कि जो बोयेंगे वही काटेंगे। हम सबको आने वाले समय में रसायन मुक्त खेती ही अपनानी पड़ेगी। जिसकी सभी किसानों को कम से कम शुरुआत तो कर देनी चाहिए। जैविक, प्राकृतिक, गौ आधारित खेती कर मृदा के जीवन को बचाने में सहयोग करें चेतन शर्मा गौ आधारित खेती खेरमालिया।
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