98 के बाद से लगभग आज तक नहीं दिया किसी ने ध्यान।
लोगों की माने तो बजट है पास।
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मर्यादपुर (मऊ) आपको बताते चलें कि मर्यादपुर से गजियापुर को जाने वाली सड़क इतनी बदहाल है कि इस सड़क पर किसान ,मजदूर, राहगीर, ग्रामीण, सबका चलना मुश्किल है। लगभग 1998 में एक बार बाढ़ आई थी, चारों तरफ जल ही जल भरा था।तब सड़क कुछ ठीक थी। उसके बाद से खराब हुई इस सड़क पर उस समय से आज तक इस सड़क पर किसी का ध्यान नहीं आया।
यह सड़क लगभग आधा दर्जन गांव को छूते हुए, मर्यादपुर से गजियापुर तक जाती है । इस सड़क की ऐसी स्थिति है कि आप साइकिल तो दूर पैदल चलने में काफी दिक्कतें आती है। व्यापारियों को इस सड़क से जाने में दिक्कत व ग्रामीण स्तर पर साग सब्जी उगाने वाले लोगों को मार्केट तक पहुंचने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल जाने वाले बच्चे रोड पर पड़े बोल्डेरो पर फिसल जाते हैं। अगर किसी मरीज को आनन-फानन में अस्पताल ले जाना हो तो रास्ते में ही दम घुट जाएगा। बीमार है तो डॉक्टर के यहां पहुंचते-पहुंचते ही रह जाएंगे। अगर महिलाएं हैं उनको डॉक्टरी में जाना है या कहीं भी जाना है। तो काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मर्यादपुर लखनऊर ,बैरियाडीह, मुराडार, नवादा ,गोपालपुर हाड़ही भेड़औरा गजियापुर इत्यादि गांव को यह सड़क जोड़ती है ग्रामीणों के लिए सड़क काफी मददगार है। लेकिन इतने गड्ढे इतने बोल्डर इधर-उधर हैं कि आदमी को आने जाने में बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिला मुख्यालय तक जाने के लिए यह राजस्थान में ग्रामीणों के लिए आसान पड़ता है ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन मूंदे पड़ी है। प्राकृतिक आपदा बाढ़ और ये सड़के काफी मुश्किल में है रहते हैं इधर के लोग।