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Uttar Pradesh: स्वामी प्रसाद मौर्य ने बनाई नई पार्टी, UP में बड़े उलटफेर के दिए संकेत.

Uttar Pradesh: दलित और पिछड़ावर्ग राजनीति में अहम स्थान बनाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर से चर्चा में हैं. यह चर्चा UP में एक अलग राजनीतिक दल के गठन को लेकर हो रही है. पिछडे और दलित पॉलिटिक्स पर जिस प्रकार से भाजपा ने पैठ बढ़ाई है, बसपा की पकड़ कमजोर हो गई है. इस स्थिति में अब स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी जगह तलाशने की कोशिश कर रहे हैं. सपा मे रहते हुए भी वो अपनी अलग लाइन को लेकर चल रहे थे, लेकिन राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले स्वामी प्रसाद सपा में बगावत का बिगुल बजाते दिख रहे हैं. ऐसे में दावा किया जा रहा है कि उनके पार्टी छोड़कर जाने के बाद नई पार्टी बनाने पर कई विधायक उनके साथ जाने की चर्चा में है.

 इससे समाजवादी पार्टी मुश्किलें की बढ़ेंगी, राज्यसभा चुनाव से पहले ही पार्टी को झटका लग सकता है. वहीं, सपा मुखिया अखिलेश यादव जिस पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक को लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं, उस पर भी आघात हो सकता है. आपको बता दें कि यह सप्ताह उत्तर प्रदेश की राजनिति में बड़े उलटफेर हो सकता है.

अखिलेश को मुलायम वाली दवा देने की तैयारी

स्वामी प्रसाद मौर्य अब अखिलेश यादव को मुलायम सिंह यादव वाली दवा देने की तैयारी में हैं. आपको बता दें कि 2003 में मुलायम सिंह यादव ने मायावती के बसपा को तोड़ दिया था. उनके विधायकों के एक गुट को विधानसभा अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी से मान्यता दिलाई थी. दरअसल, 2003 में मायावती की सरकार गिरने के बाद 27 अगस्त 2003 को मायावती की बसपा के 13 विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात कर मुलायम को सीएम के लिए समर्थन देने का पत्र दिया था. विधायकों पर दल बदलकर निरोधक कानून और संविधान की दसवीं अनुसूची के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए सदस्यता खारिज करने की मांग की गई. उस समय बसपा विधायक दल रहे नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधानसभा अध्यक्ष केसरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात की थी. और उन्हें याचिका सौंपी थी.

विधानसभा अध्यक्ष केसरी नाथ त्रिपाठी ने स्वामी प्रसाद मौर्य की याचिका पर कोई फैसला नहीं लिया है. मुलायम 210 विधायकों के समर्थन का पत्र लेकर 13 बागी विधायकों का समर्थन मिलने के बाद राजभवन पहुंचे. राज्यपाल विष्णु कांत शास्त्री ने उन्हें सरकार बनाने के लिए बुलाया. 29 अगस्त 2003 को मुलायम ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. मुलायम को बहुमत सिद्ध करने के लिए 2 सप्ताह का समय मिला था. उस समय मुलायम सरकार बनाने में सफल रहे. मामला कोर्ट में भी गया, 2007 तक कोर्ट में यह मामला चलता रहा. वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य अब अखिलेश को 21 साल पुरानी तरकीब से मात दे सकते हैं.

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क्या राज्यसभा चुनाव से पहले होगा UP में खेला?

स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर दावा किया गया है कि राज्यसभा चुनाव से पहले उन्होंने नई पार्टी का ऐलान किया है. उनके नई पार्टी का ऐलान करने के बाद समाजवादी पार्टी को बड़ा राजनीतिक झटका लग सकता है. स्वामी प्रसाद मौर्य अभी भी विधान परिषद सदस्य हैं. ऐसे में वे राज्यसभा चुनाव में वोट नहीं कर पाएंगे. हालांकि, वे अपने सहयोगियों को क्रॉस वोटिंग के लिए इन्फ्लूएंस कर सकते हैं. पल्लवी पटेल ने पहले ही जया बच्चन और आलोक रंजन को उम्मीदवार बनाने पर नाराजगी जता चुकी हैं. 7-8 विधायकों को भी अगर स्वामी प्रसाद मौर्य अपने पाले में लाने में कामयाब होते हैं तो समाजवादी पार्टी को तीसरा कैंडिडेट जिताना मुश्किल होगा.

वैसे राज्यसभा चुनाव की वोटिंग तो 27 फरवरी को है. पर इससे पहले उत्तर प्रदेश में बड़ा राजनीतिक भूचाल आने के संकेत मिल सकते हैं. वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी बेटी संघमित्रा मौर्य को बदायूं से लड़ाने की तैयारी कर रहे थे. सपा ने पहले ही धर्मेंद्र यादव को वहा से उम्मीदवार बना दिया. भाजपा सांसद संघमित्रा के सामने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों से बदली स्थिति ने परेशानी खड़ी कर दी है. अगर स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा के आठवें उम्मीदवार संजय सेठ को जिताने में अगर किसी प्रकार की भूमिका निभाते हैं तो संघमित्रा का दावा एक बार फिर से भाजपा का टिकट पाने में पुख्ता हो सकता है.

Anjali Singh

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